दोस्तों इस बाजा का नाम मसक बीन बाजा है, इसमें बकरे की खाल के थैली जैसी बनी होती है, जिसमें हवा को भरा जाता है तत्पश्चात बजाया जाता है।
इसे पहाड़ी बीन बजा के नाम से भी जाना जाता है। पुराने समय में राजा महाराजाओं के यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम में इस बाजा का अहम भूमिका होता था।
आपने मशकबीन या मोरबीन का नाम सुना है? फिल्मों या फिर पुलिस और सेना के बैंड में देखा होगा। जिसे मुंह से फूंक मार कर बजाया जाता है। बिना मोरबीन शादी बारातें नहीं जाती थीं, लेकिन अब ये लुप्त होने के कगार पर है… पहाड़ों में इसे मशकबीन या बीन बाजा भी कहते हैं, लेकिन अब ये सिर्फ कुछ पुराने कलाकारों के पास ही दिखते हैं।
मोरबीन को, मशकबीन भी कहते हैं। यूपी, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड से लेकर बिहार और बंगाल से लेकर देश के कई राज्यों में मोरबीन के सुर बोलते थे। लेकिन, वक्त की मार और कलाकारों की कमी के चलते इसका चलन कम हो गया है। मोरबीन की जगह गाँव में बैंजों पहुंच रहे हैं। दरअसल मोरबीन को बजाना भी काफी मुश्किल होता था। लेकिन कुछ कलाकार अपनी इस कला को आज भी सहेजे हैं। वो इसे अपने पुरखों की विरासत मानते हैं।