( आखिर कब तक होगा यह खेल)

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उत्तराखंड राज्य के घनसाली से एक अत्यन्त दुःखद खबर आयी है, बेलेश्वर अस्पताल से हुई रेफर के कारण 24 वर्षीय गर्भवती श्रीमती नीतू पत्नी दीपक पंवार श्रीकोट की रास्ते में हुई मृत्यु हो गयी, सही इलाज नहीं मिलने से एक बहन फिर लचर स्वास्थ्य व्यस्था की भेंट चढ़ गयी। स्वास्थ्य सेवा की हकीकत एक बार फिर उजागर हो गयी।
यह मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, यह सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत है।स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत कहते हैं: “स्वास्थ्य सेवाएँ मजबूत हैं।”
अगर यह मजबूत है, तो कमजोर क्या है फिर?
परिजनों के इन सवालों का जवाब कौन देगा?
डॉक्टर कहाँ थे?
मशीनें कहाँ थीं?
प्रसूता को रेफर करने की नौबत क्यों आई?
क्या रेफर करना सिस्टम की सफलता है या संसाधनों की कमी छिपाने का हथकंडा मात्र है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अनेक बार कहा है कि अनावश्यक रैफर पर निगरानी होगी, लेकिन यह घोषणा कब हकीकत में बदलने का नाम लेगी।

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