….ऋषिकेश, 14 फरवरी, 2024: श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, बादशाहीथौल, टिहरी गढ़वाल के संकाय विकास केंद्र ने रामानुजन कॉलेज(दिल्ली विश्वविद्यालय) के टीचिंग लर्निंग सेंटर(टीएलसी), मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर्स एंड टीचिंग स्कीम (पीएमएमएमएनएमटीटी), शिक्षा मंत्रालय, सरकार के सहयोग से “उन्नत आईसीटी दक्षता के माध्यम से शैक्षिक और अनुसंधान क्षेत्रों को सशक्त बनाना” विषय पर 1 फरवरी 2024 से 14 फरवरी 2024 तक दो सप्ताह का पुनश्चर्या पाठ्यक्रम आयोजित किया।
सहयोगात्मक प्रयास का उद्देश्य भारत भर के शिक्षकों और शिक्षाविदों को उन्नत आईसीटी दक्षता के साथ सशक्त बनाना है, जिससे वे उभरते शैक्षिक परिदृश्य में प्रभावी ढंग से योगदान करने में सक्षम हो सकें ।इस 14 दिवसीय पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और भारत के दक्षिणी भाग से प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।
पाठ्यक्रम के दौरान, उपस्थित शिक्षकों को आईसीटी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों , अकादमिक उत्कृष्टता और शैक्षणिक नवाचार के बारे में बताया गया। प्रतिभागियों से प्राप्त प्रतिक्रिया इस कार्यक्रम की उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस करने में कार्यक्रम की प्रभावशीलता को बताती है और उन्हें शिक्षण और शोध में उत्कृष्टता के लिए प्रेरित करती है।
एफडीसी की निदेशक प्रो. अनीता तोमर ने अपने भाषण में कहा कि वैश्वीकरण के युग में समाज के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों की मैपिंग और बेहतर समझ के लिए नए अध्ययन, शोध और कौशल की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ शिक्षण और शोध दोनों के मामले में उत्कृष्टता के स्तर को बढ़ाने की दिशा में पहला पुनश्चर्या पाठ्यक्रम, सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया है।
प्रो. अनीता तोमर ने प्रतिभागियों को पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के उद्देश्य और शिक्षा और अनुसंधान में दक्षता हासिल करने के लिए आईसीटी के महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमें हमारे शैक्षणिक कौशल में एक वैश्विक दृष्टिकोण को अपनाना होगा।
उन्होंने माननीय कुलपति प्रो. एन.के. जोशी का कार्यक्रम आयोजित करने में मिले मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया।कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. निखिल राजपूत ने कहा कि पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में डिजिटल उपस्थिति और ब्लॉगिंग, सहयोगात्मक सामग्री निर्माण, ई सामग्री विकास, ओईआर, शिक्षा में चैट जीपीटी का उपयोग, दृश्य संचार उपकरण, वीडियो संसाधन बनाना, कक्षाओं में ऑनलाइन सुरक्षा और प्रबंधन, एमओओसी(MOOC), शिक्षण में संवर्धित वास्तविकता आदि के उपयोग के बारे में बताया गया। समापन सत्र में एफ. डी. सी. के उपनिदेशक डॉ अटल बिहारी त्रिपाठी ने सभी विषय विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया किया| उन्होंने विशेष रूप से यह कहा कि आईसीटी क्षमता में सुधार करने के लिए एक समृद्ध संस्थानों के साथ सहयोग करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को सफलता की कामना की ।रामानुजन कॉलेज(दिल्ली विश्वविद्यालय) के टीचिंग लर्निंग सेंटर(टीएलसी) डॉ भव्या ने कार्यक्रम की सफलता की पुष्टि और सभी प्रतिभागियों, और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, तकनीकी सत्रों की आख्या प्रस्तुत की ।माननीय कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने कहा कि वर्तमान शैक्षिक प्रथाओं में आईसीटी के उपयोग पर कार्यक्रम अपने शैक्षणिक समुदाय के भीतर अकादमिक उत्कृष्टता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए संकाय विकास केंद्र के समर्पण का उदाहरण देता है। संकाय विकास केंद्र का लक्ष्य शिक्षकों को सदैव-बदलते परिप्रेक्ष्य में छात्रों को तैयार करने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना है। उन्होंने सफल कार्यक्रम आयोजित करने पर विश्वविद्यालय के फैकल्टी डेवलपमेंट सेण्टर को बधाई दी।पण्डित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के निदेशक प्रो एम एस रावत ने कार्यक्रम आयोजित करने पर प्रो. अनीता तोमर व् फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की टीम को बधाई दी और कहा कि पुनश्चर्या पाठ्यक्रम की सफलता संकाय सदस्यों के बीच निरंतर सीखने और विकास की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सेंटर की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।