डॉ. लक्ष्मीकांत, निदेशक, भाकृअनुप–विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के मार्गदर्शन में संस्‍थान द्वारा आयोजित विकसित कृषि संकल्प अभियान के बारहवें दिन, वैज्ञानिकों के तीन दलों ने विकासखण्‍ड ताड़ीखेत, भिकियासैंण एवं ताकुला के 20 गांवों के 362 कृषकों से संवाद स्‍थापित कर उनकी समस्‍याओं एवं कृषि विकास हेतु उनके विचारों से सम्‍बन्धित जानकारी प्राप्‍त की। विकासखण्‍ड भिकियासैंण के ग्राम जैथा के कृषक श्री जोधा सिंह ने उनके द्वारा किए गए नवाचार से अवगत कराया। उन्‍होंने कहा कि वे दूरस्‍थ स्थित अपने खेतों में हल्‍दी लगाकर तथा खेत की मेड़ों में नीम के तेल का छिड़काव कर अपनी फसल को जंगली जानवरों से बचाने में सफल हो रहे है।

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आयोजित कृषक गोष्ठियों का उद्देश्‍य किसानों को वैज्ञानिक कृषि, संबद्ध क्षेत्र के अवसरों और कृषि समुदायों का समर्थन करने वाली सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करना था। इस कार्यक्रम में कृषि और संबद्ध विभागों के विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिन्होंने किसानों के साथ व्यावहारिक ज्ञान साझा किया और उन्हें ज़मीनी स्तर पर आने वाली समस्याओं का समाधान बताया तथा कृषकों को कुरमुला प्रबंधन, विभिन्न कृषि यंत्रों, कदन्‍न फसलों, मिर्च, हल्दी, चौलाई और गहत उत्‍पादन की उन्‍नत तकनीकों तथा सब्जी उत्पादन के बारे जानकारी दी। गोष्‍ठी के दौरान किसानों ने कृषि में आने वाली मुख्‍य समस्‍याओं जैसे जंगली जानवरों से फसल को नुकसान, गांवों में जल भंडारण सुविधाओं तथा स्थानीय कार्यबल की अनुपलब्धता बताई। किसानों से इस कार्यक्रम के संबंध में उनकी प्रतिक्रियाएँ पूछी गईं। किसानों ने सुझाव दिया कि यदि ऐसे आयोजन खरीफ पूर्व किए जाएं तो अधिक संख्‍या में कृषकों की भागीदारी हो सकेगी।

वैज्ञानिकों के दल ने सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए यलो स्टिकी ट्रैप और कुरमुला के नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप के उपयोग का महत्‍व बताया और खेत में कुरमुला के नियंत्रण के लिए डब्ल्यूजीबीएसबी2 के उपयोग का भी सुझाव दिया गया। अन्य समस्याओं में बीजों की समय पर अनुपलब्धता और धान के बीजों का खराब अंकुरण शामिल थे। इन समस्याओं के समाधान के लिए किसानों को कुछ अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का सुझाव दिया गया, जिससे बेहतर उत्पादन और समय पर अंकुरण सुनिश्चित हो सके। साथ ही मृदा परीक्षण बड़े पैमाने पर करवाने का अनुरोध किया। इस कार्यक्रम की एक विशिष्टता यह थी कि इस क्षेत्र के किसानों ने लाल धान की अच्‍छी पोषण क्षमता एवं अच्‍छी कीमत के मध्‍येनजर इसकी खेती शुरू करने में विशेष रुचि दिखाई।

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