व्यंग साहित्यक्षेत्र में अलंकार रस्तोगी एक सशक्त हस्ताक्षर हैं।1 सितम्बर 1976 को जन्मे रस्तोगी एम.ए. (अंग्रेजी व इतिहास) बी.एड.,अंग्रेजी प्रवक्ता के रूप अग्रसेन इण्टर कालेज, चौक, लखनऊ में सेवाये दे रहे हैं। अलंकार रस्तोगी व्यंग साहित्यक्षेत्र में अपनी एक मजबूत पहचान बना चुके हैं आप समाज की कुरितियों व कमियों को व्यंग से प्रस्तुत कर रहे हैं।

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आपने खुदा झूठ न लिखवाये, सभी विकल्प खुले हैं, दो टूक , डंके की चोट पर , जूते की अभिलाषा, अलंकार रस्तोगी के चयनित व्यंग्यसंयुक्त व्यंग्य संकलन* –इक्कीसवीं सदी के श्रेष्ठ अन्तर्राष्ट्रीय व्यंग्यकार, समकालीन व्यंग्य, खूब कही, हँसते हुए रोना, व्यंग्य बत्तीसी, व्यंग्य के नव स्वर, नए नवेले व्यंग्य, व्यंग्यकारों का बचपन, व्यंग्य एकादश, व्यंग्य प्रसंग , मिली भगत, व्यंग्य- व्यंग्यकार और जो ज़रूरी है, व्यंग्य यात्री, तिरसठ का आंकड़ा,चाटुकार कलुवाऔर धनुर्धारी व्यंग्यकार समेत सोलह संयुक्त व्यंग्य संग्रह.अलंकार रस्तोगी नियमित -हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, अमर उजाला, आई नेक्स्ट , नव भारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा, नयी दुनिया,जन सन्देश, टाइम्स, हरिभूमि, जनवाणी, प्रभात खबर, कादम्बिनी, व्यंग्य यात्रा, अट्टहास, शोध दिशा, सोच –विचार, अनवरत, गवर्नेसं नाऊ, फेमिना और लमही जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों में लगातार प्रकाशित हो रहे हैं।

आपको रवीन्द्र नाथ त्यागी युवा व्यंग्यकार सम्मान , उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का शरद जोशी सम्मान, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान का युवा व्यंग्यकार सम्मान, पद्म श्री के. पी. सक्सेना युवा व्यंग्यकार सम्मान, उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी संस्थान का साहित्य गौरव सम्मान, सृजन संस्था और नव सृजन संस्था के युवा व्यंग्यकार सम्मान सहित अनेक सम्मान दिया गया है अलंकार रस्तोगीआकाशवाणी, दूरदर्शन, न्यूज़ चैनलों के अलावा व्यंग्य सम्मेलनों और गोष्ठियों में प्रतिभाग करते आये है।

आपके द्वारा गद्य व्यंग्य के यूट्यूब चैनल ‘व्यंग्यबाज़ी’ और मोटिवेशनल चैनल ‘गुरुकूल’ का सफल संचालन किया जा रहा है।लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ के हिंदी व‌ अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित लखनऊ लिट्रेचर फेस्टिवल लखनऊ एक नया दौर में मुलाकात करने का मौका मिला। कुछ गुफ्तगू भी हुयी देखिए वीडियो

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