देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक का सिलसिला थम नहीं रहा है। हाल ही में, 21 सितंबर को हुई UKSSSC की स्नातक स्तरीय परीक्षा का पेपर लीक हो गया, जिससे हजारों युवाओं का भविष्य एक बार फिर दांव पर लग गया है। इस घटना से नाराज छात्र-छात्राएं राजधानी देहरादून की सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
रविवार, 21 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) ने पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी जैसे कई पदों के लिए स्नातक स्तरीय परीक्षा आयोजित की थी। परीक्षा सुबह 11:00 बजे शुरू हुई, लेकिन शुरू होने के महज 35 मिनट बाद ही पेपर की तस्वीरें व्हाट्सएप पर वायरल होने लगीं।
शुरुआती जांच के अनुसार, हरिद्वार के एक परीक्षा केंद्र से खालिद मलिक नाम के एक अभ्यर्थी ने अपने मोबाइल फोन से पेपर की फोटो खींचकर बाहर भेजी थी। बताया जा रहा है कि उसने यह पेपर हल करने के लिए टिहरी की एक महिला प्रोफेसर को भेजा था।
नकल माफिया की भूमिका
यह घटना बताती है कि प्रदेश में नकल माफिया के हौसले कितने बुलंद हैं। चिंता की बात यह है कि इस परीक्षा से ठीक एक दिन पहले ही पुलिस ने कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर 15-15 लाख रुपये में पेपर बेचने का सौदा कर रहा था।
छात्रों की मुख्य मांगें
पेपर लीक की खबर फैलते ही हजारों छात्र देहरादून में जमा हो गए और उन्होंने सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों की दो मुख्य मांगें हैं:
इस परीक्षा को तत्काल रद्द किया जाए।
पूरे घोटाले की जांच CBI से कराई जाए।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं से उनकी सालों की मेहनत बर्बाद हो रही है और उनका व्यवस्था पर से भरोसा उठता जा रहा है।
सरकार और आयोग का पक्ष
शुरुआत में, UKSSSC और पुलिस ने इसे एक बड़ा लीक मानने से इनकार किया और कहा कि केवल कुछ पन्ने ही बाहर आए हैं। हालांकि, छात्रों के भारी विरोध और दबाव के बाद, सरकार ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है। इस घटना ने सरकार के उस सख्त नकल विरोधी कानून पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसे कुछ ही समय पहले लागू किया गया था।
फिलहाल, मामले की जांच जारी है और छात्र अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर डटे हुए हैं। इस तरह की घटनाएं प्रदेश के युवाओं में सरकार के प्रति अविश्वास बढ़ा रही हैं, जो सामाजिक अशांति और पलायन जैसी समस्याओं को जन्म दे सकती हैं।


