नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली में एक बड़े सुधार को हरी झंडी दे दी है, जिसका असर आम आदमी की जेब पर सीधे तौर पर पड़ेगा। बुधवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जो 23 सितंबर, 2025 से लागू होंगे। इन बदलावों के तहत जहां लगभग 56 वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर कर उन्हें सस्ता किया जाएगा, वहीं कुछ अन्य वस्तुओं पर टैक्स बढ़ने की भी संभावना है।
क्या है पूरा मामला?
1 जुलाई 2017 को “एक देश, एक टैक्स” के नारे के साथ लागू की गई जीएसटी प्रणाली अपने आठ साल पूरे होने पर एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई जीएसटी परिषद की बैठक में इस सुधार को अंतिम रूप दिया गया। इसका मुख्य उद्देश्य कर प्रणाली को और सरल बनाना और अर्थव्यवस्था को गति देना है।
आम आदमी पर क्या होगा असर?
इस नए फैसले का सबसे बड़ा असर रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों पर देखने को मिलेगा।
क्या होगा सस्ता? सरकार के इस कदम से साबुन, बिस्किट जैसे रसोई के सामान, टीवी, फ्रिज जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और कुछ गाड़ियों की कीमतें कम हो सकती हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवाओं पर भी राहत मिलने की उम्मीद है।
क्या हो सकता है महंगा?
वहीं दूसरी ओर, जीएसटी 2.0 के तहत छोटी कारों (850 सीसी तक) और मोटरसाइकिलों पर 18% जीएसटी लगने की संभावना है। गाड़ियों के पार्ट्स पर भी समान दर से टैक्स लग सकता है। इसके अलावा, पान मसाला, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाकर 40% तक किया जा सकता है, जिससे ये चीजें महंगी हो जाएंगी।
फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया
सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक और औद्योगिक जगत से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
विपक्ष और राज्यों की चिंता: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किसानों पर पहली बार टैक्स लगाने का आरोप लगाते हुए सरकार की आलोचना की है। उन्होंने दही, आटा और अनाज जैसी चीजों पर जीएसटी को “गब्बर सिंह टैक्स” करार दिया। वहीं, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने राजस्व में भारी नुकसान की आशंका जताई है। केरल के वित्त मंत्री के अनुसार, इससे राज्य को सालाना 8 से 10 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो सकता है।
उद्योग जगत ने किया स्वागत: दूसरी ओर, उद्योग जगत ने इन सुधारों का स्वागत किया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कहा कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सीमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CMA) के अध्यक्ष नीरज अखौरी का मानना है कि सीमेंट पर जीएसटी कम होने से निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और आम आदमी के लिए घर बनाना सस्ता होगा।
कुल मिलाकर, जीएसटी में यह सुधार एक बड़ा कदम है जिसका लक्ष्य कर प्रणाली को सरल बनाना है। हालांकि, इसके वास्तविक फायदे और नुकसान आने वाले समय में ही स्पष्ट हो पाएंगे, जब यह नई व्यवस्था पूरी तरह से लागू हो जाएगी।


