पश्चिम बंगाल में सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस सोमवार को सुबह न्यू जलपाईगुड़ी के पास हादसे का शिकार हो गई। उसे एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी। यह हादसा इतना भयानक था कि मालगाड़ी से टक्कर होने के बाद ट्रेनों की तीन बोगियां पटरी से उतर गईं। जबकि कई बोगियां हवा में लहरा गईं। वहीं 15 लोगों की मौत हो गई, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। आइए जानते हैं ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे की यादें ताजा करने वाली दुर्घटना कैसे हुई।

सुबह-सुबह खराब था सिग्नल सिस्टम

रेलवे सूत्रों ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। बताया जा रहा है कि रानीपात्रा रेलवे स्टेशन और पश्चिम बंगाल के छत्तर हाट जंक्शन के बीच सुबह साढ़े पांच बजे से ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम खराब पड़ा था।सूत्रों ने बताया कि ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस) रंगापानी स्टेशन से सुबह आठ बजकर 27 मिनट पर रवाना हुई थी और सुबह पांच बजकर 50 मिनट पर ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम खराब होने के चलते रानीपतरा रेलवे स्टेशन तथा छत्तर हाट के बीच रुकी रही।

वहीं, एक अन्य रेलवे अधिकारी ने बताया कि जब ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम फेल हो जाता है, तो स्टेशन मास्टर टीए 912 नामक एक लिखित प्राधिकरण जारी करता है, जो चालक को खराबी के कारण सेक्शन में सभी लाल सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है।

उन्होंने कहा कि रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या 1374 (सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस) के लिए टीए 912 जारी किया था।अधिकारी ने आगे कहा कि उसी समय एक मालगाड़ी जीएफसीजे सुबह आठ बजकर 42 मिनट पर रंगापानी से रवाना हुई और 13174 के पिछले हिस्से से टकरा गई। इससे गार्ड का डिब्बा, दो पार्सल डिब्बे और एक सामान्य सीटिंग डिब्बा पटरी से उतर गया।

चालक ने सिग्नल की अनदेखी की।

रेलवे बोर्ड ने अपने शुरुआती बयान में कहा था कि मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल की अनदेखी की थी। इस हादसे में मरने वालों की कुल संख्या आठ बताई जा रही है। हालांकि कुछ स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या 15 तक हो सकती है।

यह है नियम

सूत्रों ने कहा कि जांच से ही पता चल सकेगा कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नलों को तेज गति से पार करने के लिए टीए 912 दिया गया था या फिर यह लोको पायलट था, जिसने खराब सिग्नल के नियम का उल्लंघन किया था। अगर बाद वाला मामला है तो चालक को हर खराब सिग्नल पर एक मिनट के लिए ट्रेन रोकनी थी और 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना था।लोको पायलट के संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि ड्राइवर ने लाल सिग्नल का उल्लंघन किया। भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, ‘लोको पायलट को हादसे का जिम्मेदार मानना बेहद आपत्तिजनक है। हादसे में उनकी भी जान गई है। वहीं सीआरएस जांच लंबित है।’

रेलवे बोर्ड ने किया चौंकाने वाला खुलासा

रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष और सीईओ जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि बचाव अभियान पूरा हो गया है। ट्रेन चला रहे चालक (लोको पायलट) ने सिग्नल की अनेदखी की थी, जिसकी वजह से हादसा हुआ। हालांकि, हादसे में उसकी भी मौत हो गई। वहीं, कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड ने भी अपनी जान गंवा दी है। उन्होंने रहा कि अगरतला-सियालदह मार्ग के सभी रेलवे स्टेशनों पर हेल्प डेस्क स्थापित किए हैं।

हवा में लटक रहा है कंचनजंगा का डिब्बा:

अभी भी कंचनजंगा का एक डब्बा हवा में लटका हुआ है। सूत्रों के मुताबिक चालक, सहचालक, कंचनजंगा गार्ड समेत कईयों की मौत हो गई है।

यात्रियों के लिए अतिरिक्त बस सेवाएं:

कंचनजंगा एक्सप्रेस के फंसे यात्रियों को निकालने के लिए उत्तर बंगाल राष्ट्रीय परिवहन निगम द्वारा बस सेवाओं की व्यवस्था की गई है। उत्तर बंगाल राष्ट्रीय परिवहन निगम के अध्यक्ष पार्थप्रतिम रॉय ने कहा कि 10 बसें दुर्घटनास्थल के लिए रवाना हो गई हैं। उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी-कोलकाता अतिरिक्त बस सेवा सोमवार दोपहर से सिलीगुड़ी तेनजिंग नोर्गे बस टर्मिनल से चालू हो जाएंगी।

सेवा सामान्य बनाए रखने का प्रयास जारी:

पूर्वी रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि उत्तर बंगाल में ट्रेनों की आवाजाही सामान्य है। मालदा डिविजन में फंसी ट्रेनें रवाना हो गई हैं। जिस लाइन पर हादसा हुआ है, उसके पास वाली लाइन से सेवा बहाल की जाएगी। सिंगल लाइन पर ट्रेनों का आवागमन होगा।

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