आज भारतरत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की पुण्यतिथि है। संगीत की दुनिया में लता मंगेशकर की अमिट व अविस्मरणीय व अविरत पहचान है, लता मंगेशकर का साहित्य जगत में जो योगदान है शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है।
उनका निधन अपूरणीय क्षति है। अल्मोड़ा की जानी-मानी साहित्यकार सेवानिवृत्त प्राध्यापक नीलम नेगी जो साहित्य क्षेत्र की सशक्त माध्यम हैं है अपनी लेखनी से लता मंगेशकर को कविता के जरिए श्रद्धांजलि दी है,
सुरों की रानी लता दीदी की पुण्य तिथि अवसर पर…!!!’
सुरदेवी अलविदा’ 😥😥
स्वर कोकिला’, ‘स्वर मंजरी’,तुम ‘बुलबुले हिंद”सात सुरों की शान’, हर भारतवासी का मान साक्षात ‘सरस्वती पुत्री’ जैसे सम्मानों से सुशोभित न है न होगा कोई पा सके जो सुरों के सर्वोच्च सम्मान…
पद्मभूषण’ ‘पद्मविभूषण’ और ‘भारतरत्न’ जैसेअन्य अनगिनत वैश्विक कीर्तिमानों से विभूषित अनेक भाषाओँ में हज़ारों गीतों को मधुर स्वर दे उगते सूर्य सी प्रकाशित फूलों की खुशबू सी सुगन्धित…
आज़ादी के पहले से अब तक दशकों से अनवरतसंगीत की बेजोड़ मलिका विलक्षण व्यक्तित्व हो तुमआवाज़ में जिसकी पूरे कायनात की खूबसूरती हो ईश्वरी देन से ही ऐसी महान अनुपम कृति बनी हो तुम…
अप्रतिम,निर्मल,सौम्य,सादगीपूर्ण,स्वर साधनामयखामोश हो गई आख़िर आज एक नायाब सुरीली आवाज़गुम हो गया कहीं आज वो दिलकश रूहानी एहसाससो गई एक अमर आवाज़ जिस पर देश को रहेगा सदा नाज़…
विश्व संगीत में गुंजित सुरों की पावन अमर ‘लता’ बेल सी हे अमूल्य रतन तुमसे अलंकृत हो हर सम्मान सम्मानित हो गया
अंतर्मन में भाव बहुत हैं पर वाणी से मौन और निःशब्द हूँअलविदा तुम्हें संगीत के एक स्वर्णयुग का आज अंत हो गया…
बड़ा सा एक अपूरणीय शून्य छोड़ आज ब्रह्मलीन हो गई हो..
अनंत तक ज़िंदा रहोगी अपने सुरीले गीतों और आवाज़ में तुम
व्यथा वेदना से आहत हूँ कि अब कभी हमें नहीं दिखोगी पर
यक़ीनन पुनर्जन्म ले नवयुग में फिर एक इतिहास रचोगी तुम…
. नीलम नेगी ( दि.06.02.2022 )