जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल है. इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी रेंजर्स ने एक बीएसएफ जवान को अपनी गिरफ्त में ले लिया है. कहा जा रहा है कि यह बीएसएफ जवान गलती से बॉर्डर पार कर गया था, जिसके बाद पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे पकड़ लिया. मामला सामने आने के बाद बीएसएफ अधिकारियों और पाकिस्तान फ्लैग रेंजर्स के बीच बातचीत शुरू हो गई है.

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ऐसे में सवाल है कि क्या पाकिस्तान बीएसएफ जवान को गिरफ्तार कर अपने यहां बंदी बनाकर रख सकता है? क्या बीएसएफ जवान को छोड़ना पाकिस्तान की मजबूरी है? इस मामले में वो कौन सा नियम है जो वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन के मामले में लागू हुआ था और पाकिस्तान को अभिनंदन को भारत वापस करने के लिए मजबूर होना पड़ा था, आइए जानते हैं.

बता दें, पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को तबाह कर दिया था. इसके ठीक एक दिन बाद पाकिस्तानी फाइटर्स जेट भारत की सीमा की तरफ बढ़ रहे थे, जिसमें अमेरिका से पाकिस्तान को मिला F-16 लड़ाकू विमान भी शामिल था. पाकिस्तानी जवानों को भारतीय वायुसेना ने खड़ेद दिया था. हालांकि, इस दौरान वायुसेना का मिग-21 उड़ा रहे विंग कमांडर अभिनंदन पाकिस्तान की गिरफ्त में आ गए. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर जिनेवा कन्वेंशन के नियमों को मानने का दबाव बनाया, जिसके बाद पाकिस्तान को झुकना पड़ा और अभिनंदन की सुरक्षित वापसी हुई थी.

बीएसएफ जवान को वापस करना भी पाकिस्तान की मजबूरी

विंग कमांडर अभिनंदन के मामले को देखते हुए बीएसएफ जवान को वापस करना भी पाकिस्तान की मजबूरी है. दरअसल, पाकिस्तान ने भी जिनेवा कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए हैं. ऐसे में इसके नियमों को मानना पाकिस्तान की मजबूरी है. ऐसा न करने पर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बन सकता है और युद्धबंदी नियमों को न मानने पर कई देश पाकिस्तान को अलग-थलग कर सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो भारत से तनाव के बीच पाकिस्तान को बड़ा झटका लग सकता है.

क्या है जिनेवा कन्वेंशन

प्रिजनर्स ऑफ वॉर (POW) यानी युद्धबंदियों के अधिकारों और मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए जिनेवा कन्वेंशन में नियम तय किए गए थे. इसके तहत टीवी या किसी अन्य माध्यम से अगर युद्धबंदियों को दिखाया जाता है तो यह कन्वेंशन के नियमों का उल्लंघन हे. इसके अलावा युद्धबंदियों के अधिकार तय किए गए हैं. अगर किसी सैनिक को पकड़ा जाता है तो उसे किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं किया जा सकता है और उसके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाएगा. कोई भी देश न तो किसी दूसरे देश के सैनिक को इस स्थिति में डरा-धमका सकता है और न ही उसे अपमानित कर सकता है. इस संधि के मुताबिक, दूसरे देश में पकड़े के सैनिक के साथ किसी अधिकारी की तरह व्यवहार किया जाता है और उसे वापस किया जाता है. जिनेवा कन्वेंशन के यह नियम सामान्य स्थिति में भी लागू होते हैं.

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