मूल निवास और सशक्त भू-कानून को लागू करने की मांग को लेकर संडे को विभिन्न संगठनों के हजारों लोग परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए। यहां से रैली के रूप में नागरिकों का हुजूम कॉन्वेंट चौक, बुद्धा चौक, तहसील चौक, द्रोण चौक होते हुए कचहरी परिसर स्थित शहीद स्मारक पहुंचा।
यहां पर सभा करते हुए विभिन्न संगठनों ने कहा कि प्रदेश के मूल निवासियों को अपनी पहचान बचाने और अधिकारों की रक्षा के लिए इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना होगा।
वक्ताओं ने कहा कि यह भावनाओं का जनांदोलन भी है। यह आंदोलन प्रदेश के संसाधनों की रक्षा का भी है। इस आंदोलन में मातृशक्ति के साथ ही विभिन्न संगठन, कवियों, लेखकों, बुद्धिजीवियों की उपस्थिति बताती है कि इस मुद्दे को प्रदेश के मूल निवासियों के अधिकारों की नजर से देखना चाहिए। स्वाभिमान रैली में अखिल भारतीय समानता मंच समेत राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल, आंदोलनकारी मंचों समेत तमाम अन्य सामाजिक और राजनीतिक दलों ने प्रतिभाग किया।
भू-कानून और मूल निवास की रैली जब द्रोण चौक पर पहुंची तो इसी बीच प्रिंस चौक से आ रही एक एम्बुलेंस वहां पहुंची गई। रैली में एम्बुलेंस को देखकर लोगों ने फटाफट उसके लिए रास्ता बना दिया। जिस्से वो आसनी से वहां से निकल गई।
ढोल दमाऊ, हुड़का और थाली के साथ पहुंचे लोग उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास लागू करने की मांग को लेकर रैली में भारी संख्या में लोग पहुँचे। रैली के सपोर्ट में महिलाएं उत्तराखंड के पारंपरिक परिधानों में आई थी। इस दौरान कुछ लोग ढोल दमाऊ, हुड़का और थाली बजाते हुए भी नजर आए।
राज्य आंदोलन की याद हुई ताजाइस आंदोलन ने उत्तराखंड आंदोलन की याद को ताजा कर दिया। लगभग 30 साल पहले 1994 में आरक्षण के आंदोलन में शुरू हुआ। उत्तराखंड राज्य आंदोलन फिर से उत्तराखंड के मूल निवासियों के दिलों में आग बनकर धधकने लगा है। राज्य आंदोलन के दौरान सुनाई देने वाले नारे आज फिर से मूल निवास के आंदोलन की लड़ाई के दौरान आसमान में गुंजायमान होते रहे। कोदा झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनांएगे।।। बोल पहाड़ी हल्ला बोल जैसे नारों के साथ देहरादून के परेड ग्राउंड में पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों से हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए। परेड ग्राउंड से नारों की गंूज के साथ शुरू हुई रैली शहीद स्मारक में समाप्त हुई।
रैली में प्रदेश भर से आई मातृशक्तियां पांरपरिक परिधानों के संग शामिल हुई। सभी की एक ही आवाज थी कि उत्तराखंड के असल मुद््दों यानी जल-जंगल-जमीन का हक बचाने के लिए मूल निवास का कटऑप 1950 लागू किया जाए। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया के जरिए लोगों का व्यापक समर्थन इस रैली को मिल रहा था।
कही रूट डायवर्ट तो कहीं लगा जामरैली के दौरान गांधी पार्क से कनक चौक जाने वाले रूट को डायवर्ट किया गया तो कहीं जाम लगा रहा। इस बीच कई बसों के रूट डायवर्ट किए गए। जिससे घंटो लोग इंतजार करते रहे। तब जाकर उन्हें कई देर बाद जानकारी मिली कि बसों के रूट डायवर्ट किए गए है।