डा० राजेंद्र कुकसाल

प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने बर्ष 2016 में किसानों की आय बर्ष 2022 – 23 तक दुगनी करने का संकल्प लिया, किसानों की आय दोगुनी (डबलिंग फारर्मस इनकम DFI) करने के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु किसानों के हित में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों के लिए बर्ष 2017 में कई कृषक कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की गई।1.प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) ।2.बागवानी मिशन की योजना।3.परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)।4.फार्म मशीनीकरण योजना,आदि।

केन्द्र सरकार की इन योजनाओं में राज्य के कृषकों के लिए हजारों हजार करोड़ बजट का प्राविधान रखा गया तथा अनुदान राशि *डी.बी.टी. योजना* के माध्यम से सीधे किसानों के खाते में डालने के निर्देश दिए गए। उत्तरप्रदेश हिमाचल आदि सभी भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में बर्ष 2017 से ही कृषकों को योजनाओं में मिलने वाला अनुदान डी. बी. टी. के माध्यम से सीधे कृषकों के खाते में जा रहा है।

1.भारत सरकार के बर्ष 2017 के निर्देश के पांच साल बाद कृषि सचिव उत्तराखंड शासन के पत्रांक 535/X11-2/2021-5(28/2014 दिनांक17 मई 2021से राज्य के कृषकों को देय अनुदान आधारित योजनाओं को डी.बी.टी. द्वारा क्रियान्वयन के आदेश निर्गत किए गये, उक्त शासनादेश के साथ उत्तरप्रदेश एवं हिमाचल सरकार के शासनादेशों को संलग्न कर इस आशय से प्रेषित किया गया है कि उन्ही के अनुरूप उत्तराखंड में भी डी.बी.टी.लागू की जाय।

विभागों द्वारा अभी भी इस शासनादेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।पद्म श्री, प्रेम चन्द्र शर्मा जी द्वारा 30 जनवरी 2024 को अटाल गांव जौनपुर टेहरी गढ़वाल में एक किसान गोष्ठी जिसके मुख्य अतिथि मा0 बीरेन्द्र जुयाल जी निदेशक बाग़वानी बोर्ड भारत सरकार थे इस गोष्ठी में किसानों ने योजनाओं में मिलने वाला अनुदान डी0बी0टी0 के माध्यम से भुगतान करने की मांग रखी ताकि वह हर चीज़ अपनी मन पसंद की ख़रीद सकें किसानों ने शिकायत की कि विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई दवा फल पौध व अन्य निवेश निम्नस्तर के होते हैं।

उद्यान पंण्डित श्री कुन्दन सिंह पंवार जी द्वारा दिनांक 20 जनवरी 2024 को माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बजट पूर्व परामर्श कार्यक्रम में माननीय मुख्यमंत्री, जी से कृषि/उद्यान विभाग के द्वारा क्रय किए जाने वाले सभी निवेषों पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने तथा अनुदान राशि किसानों को DBT (Direct Benefit Transfer) योजना के अन्तर्गत देने की बात कही। विभागों के मुखिया भ्रष्टाचार में संलिप्तता के कारण, राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, छोटी जोत, किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी न होना व अभी पोर्टल बन रहा है का वहाना बना कर डी.बी.टी. लागू नहीं होने दे रहे हैं।

2.भारत सरकार की हार्टिकल्चर टैक्नोलॉजी मिशन योजना व अन्य योजनाओं की गाइडलाइंस के अनुसार योजनाओं में क्रय किए जाने वाला बीज,फल पौध आदि निवेश भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि शोध संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय से क्रय कर कृषकों को बीज उपलब्ध कराने के निर्देश है जिनसे आने वाले समय में कृषक स्वयं बीज उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन सके। उत्तराखंड सरकार ने भी शासनादेश संख्या : 1633/XVI-1/13/5/16/2013 देहरादून: दिनांक 26 जुलाई, 2013 द्वारा विभिन्न औद्यानिक निवेशों आदि की गुणवत्तायुक्त आपूर्ति हेतु औद्यानिक कैलेण्डर जारी किया है जिससे कृषकों को समय पर गुणवत्ता वाले निवेश मिल सकें। किन्तु इस शासनादेश का भी अनुपालन नहीं किया जाता दलालों के चक्कर में निदेशालय द्वारा निवेशों के खरीद की प्रक्रिया वित्तीय वर्ष के अन्तिम माहों में शुरू की जाती है जिससे शासन प्रशासन पर दबाव बनाकर चहेतों को लाभ पहुंचाया जा सके। अधिकतर निवेश कमिशन के चक्कर में Expression of Interest (EOI) के नाम पर चहेती निजी कम्पनियों या दलालों के माध्यम से ही क्रय किए जाते हैं ।

3. उत्तरप्रदेश फल नर्सरी (विनियमन) अधिनियम, 1976 में कुछ संशोधन कर राज्य का अपना उत्तराखंड फल पौधशाला (विनिमयन) नियमावली 2021 प्रभावी हो गया है, इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य किसानों को यहां की जलवायु के अनुरूप उच्च गुणवत्ता के पौधे उपलब्ध कराना था किन्तु इस एक्ट का अनुपालन नहीं किया जाता । योजनाओं में फल पौधों की आपूर्ति राज्य की पंजीकृत नर्सरियों से होना दर्शाया जाता है किन्तु वास्तविकता यही है कि अधिकतर निम्न स्तर की शीतकालीन फलपौध हिमाचल व कश्मीर तथा बर्षाकालीन फल पौध सहारनपुर या मलीहाबाद लखनऊ की व्यक्तिगत नर्सरियों से ही होती है।

कृषक कल्याण योजनाओं में बिना शासनादेशों का अनुपालन किये माननीय मुख्यमंत्री जी का राज्य को बर्ष 2025 तक अग्रणीय राज्य बनाने का सपना कैसे पूरा होगा यक्ष प्रश्न ??

Advertisement