विकास खण्ड सल्ट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत निर्मित अमृत सरोवर ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहे हैं। इन सरोवरों के निर्माण से क्षेत्र में जल स्तर बढ़ रहा है, जिससे नौले, तालाब तथा अन्य जल स्रोतों का पुनरुज्जीवन हो रहा है।
फलस्वरूप, ग्रामीणों को पानी की सुविधा मिल रही है, साथ ही उनके पशुधन के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है।जिलाधिकारी विनीत तोमर एवं मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोंडे के निर्देशानुसार विकास खण्ड के सभी राजस्व ग्रामों में स्थित नौले और प्राकृतिक जल स्रोतों का चिन्हीकरण किया जा रहा है। जिला विकास कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्वेक्षण कार्य पूरा होने के बाद, इन जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए ठोस कार्य योजना तैयार की जाएगी।
योजना के तहत, स्रोतों के पास खंती, खाल, वनीकरण और चेकडैम का निर्माण किया जाएगा। इन कार्यों से जल स्रोतों में जल संग्रहण क्षमता बढ़ेगी और वर्षा जल का सदुपयोग होगा।
अमृत सरोवर योजना के तहत, विकास खण्ड सल्ट में 9 अमृत सरोवरों का निर्माण किया गया है। इनमें से ग्राम पंचायत झिमार के धतुरी खत्ता में निर्मित अमृत सरोवर उल्लेखनीय है।
यह सरोवर 5.80 लाख लीटर जल क्षमता वाला है और इससे झिमार, मसणियाबांज, गडकोट मल्ला, गडकोट तल्ला और बिरलगांव के जल स्रोत रिचार्ज हो रहे है।मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे ने कहा कि, अमृत सरोवर न केवल जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर रहे हैं।
मनरेगा योजना के तहत इन सरोवरों के निर्माण में बड़ी संख्या में ग्रामीणों को काम मिला है।मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि, हमारा लक्ष्य है कि विकास खण्ड सल्ट को जल-सुरक्षित क्षेत्र बनाया जाए। इसके लिए, हम सभी जल स्रोतों का संरक्षण और संवर्द्धन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।