रुद्रपुर। कहते हैं कानून के हाथ लम्बे होते हैं। अपराधी कितने भी जतन कर ले मगर देर सवेर पुलिस के गिरफ्त में आ ही जाता है। ऐसे ही एक अपराधी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है जो 21 साल से पुलिस को चकमा देकर छुपकर रह रहा था। युवावस्था में किए अपराध की सजा आरोपी अब बुढ़ापे में भुगतेगा। रुद्रपुर में कक्षा तीन में पढ़ने वाली बालिका को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने के मामले में फरार चल रहा इनामी आरोपी 21 साल बाद पुलिस के हत्थे चढ़ गया। पुलिस ने उसे बिहार बॉर्डर के देवरिया यूपी से धर दबोचा। कोर्ट में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया गया।

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रविवार को एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने खुलासा करते हुए बताया कि 12 मार्च 2003 को किच्छा कोतवाली में मूलरूप से बिहार निवासी व्यक्ति ने तहरीर सौंपी। उसने बताया कि कक्षा तीन में पढ़ने वाली उसकी 13 साल की बेटी शाम तक घर नहीं लौटी। खोजबीन में पता चला कि ग्राम महुआ थाना बरमटियागंज जिला बिहार निवासी सुरेंद्र महतो बेटी को बहला-फुसलाकर भगा ले गया है।

इस पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366 के तहत केस दर्ज किया। विवेचना में सामने आया कि सुरेंद्र महतो और उसके छोटे भाई छोटे लाल ने नाबालिग का अपहरण किया है। पुलिस ने लड़की को बरामद कर मेडिकल कराया तो दुष्कर्म की पुष्टि हुई। वर्ष 2004 में पुलिस ने छोटे लाल को गिरफ्तार कर आईपीसी की धारा 363, 366 व 376 के तहत जेल भेजा। सुरेंद्र महतो तब से फरार चल रहा था।

सम्मन, एनबीडब्ल्यू और कुर्की की कार्रवाई के बाद 14 अक्टूबर 2004 को कोर्ट ने सुरेंद्र महतो को मफरूर घोषित कर दिया। इसके बाद तत्कालीन एसएसपी अमित सिन्हा की ओर से उस पर पांच सौ रुपये के इनाम की घोषणा की गई थी। वर्ष 2004 से लेकर वर्तमान तक कई बार पुलिस टीम आरोपी की गिरफ्तारी के लिए बिहार व उत्तर प्रदेश भेजी गई लेकिन बार-बार अभियुक्त बच निकलने में सफल रहा।

बीते दिनों एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने आरोपी की धरपकड़ के लिए इनाम की राशि को पांच सौ से बढ़ाकर 25 हजार कर किया और कोतवाल सुंदरम शर्मा के नेतृत्व में टीम को उसकी गिरफ्तारी में लगाया। शनिवार को बिहार बॉर्डर पर यूपी के ग्राम चंदौली थाना सुरौली जिला देवरिया से आरोपी सुरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट में पेशी के बाद उसे जेल भेज दिया। एसएसपी ने पुलिस को 2500 रुपये नकद इनाम देने की भी घोषणा की। टीम में एसएसआई उमेश कुमार, कांस्टेबल जगमोहन नेगी, उमेश सिंह आदि थे।

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