स्याहीदेवी विकास मंच, शीतलाखेत की एक टीम ने 14 फरवरी, 2024 को गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (एनआईएचई), कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा का दौरा किया। यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में हितधारकों के बीच शीतलाखेत वन संरक्षण मॉडल के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने पर चर्चा करना था।पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने टीम के सदस्यों का गर्मजोशी से स्वागत किया और वनों और पारिस्थितिकी के संरक्षण में स्याहीदेवी विकास मंच द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों की सराहना की।

Advertisement

उन्होंने विशेष रूप से वनाग्नि प्रबंधन और क्षेत्र के वन संसाधनों के संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी एवं उसकी भूमिका की सराहना की।स्याहीदेवी विकास मंच की मेहमान टीम में श्री गजेन्द्र पाठक, श्री आरडी जोशी, गोपाल सिंह बिष्ट, शंकर सिंह और प्रताप सिंह बिष्ट शामिल थे। अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिकों के साथ उपयोगी चर्चा की, जिनमें संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आई.डी. भट्ट, डॉ. एस.सी. आर्य और डॉ. के.एस. कनवाल शामिल थे।चर्चा के पश्चात यह निर्णय लिया गया कि पर्यावरण संस्थान सामाजिक शासन के तहत वन प्रबंधन पर तेजी से अध्ययन करेगा। इस अध्ययन का उद्देश्य क्षेत्र में वनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए स्याहीदेवी विकास मंच, शीतलाखेत द्वारा लागू किए गए विभिन्न प्रयासों एवं हस्तक्षेपों का आकलन करना है।

अध्ययन विशेष रूप से वन विकास में सहायक प्राकृतिक पुनर्जनन (एएनआर) के प्रभाव, वन संरक्षण में वी.एल. स्याही हल की प्रभावशीलता, वन संरक्षण और उत्थान में सामुदायिक भागीदारी और वनाग्नि प्रबंधन में ग्राम स्तरीय वन प्रबंधन समितियों की भूमिका के मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित करेगा।

इसके अतिरिक्त, अध्ययन वन संरक्षण के प्रयासों पर औण दिवस के उत्सव के प्रभाव का आकलन करेगा।पर्यावरण संस्थान तथा स्याहीदेवी विकास मंच, शीतलाखेत की सहयोगी पहल हिमालयी क्षेत्र में स्थायी वन प्रबंधन प्रथाओं और पर्यावरण संरक्षण को आगे बढ़ाने के लिए एक साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस अध्ययन के नतीजों से हिमालय क्षेत्र में भविष्य की संरक्षण रणनीतियों और समुदाय के नेतृत्व वाली पहलों के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि का योगदान मिलने की उम्मीद है।

Advertisement
Ad Ad Ad
Advertisement
Advertisement
Advertisement