हल्द्वानी। उत्तराखंड में सेवा का अधिकार आयोग के गठन से सेवा का अधिकार और सक्रिय व सख्त हो गया है। उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग मेें 48 विभागों की करीब 855 सेवाएं अधिसूचित की गयी हैं।
सेवा के अधिकार के तहत उत्तराखंड में आम उपभोक्ता को कितनी समय अवधि में कौन सी सेवा का लाभ मिल जाना चाहिए। इस अधिनियम में उल्लिखित है। इसके अलावा अपणि सरकार पोर्टल के माध्यम से 630 सेवाओं का लाभ आनलाइन तरीके से भी लिया जा सकता है। जबकि कई प्रकरणों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग व वाट्सएप के माध्यम से भी सुनवाई की व्यवस्था है। वहीं समय पर सेवा का लाभ न मिलने पर उत्तराखंड सेवा का अधिकार आयोग में शिकायत भी दर्ज कराई जा सकती है।
सेवा का अधिकार के तहत आने वाले मुख्य विभाग
सेवा के अधिकार के तहत उत्तराखंड में गृह विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवहन, पेयजल, समाज कल्याण, शहरी विकास, विद्यालयी/माध्यमिक शिक्षा, निबन्धन, पशुपालन, श्रम, उर्जा, मत्स्य, लोक निर्माण विभाग, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, पर्यटन, अल्पसंख्यक कल्याण, वन, पंचायती राज, तकनीकी शिक्षा, उद्यान, फम्र्स सोसाइटीज एवं चिटस, आयुष, ग्रामीण निर्माण आदि विभाग मुख्य रूप से शामिल हैं।
सेवा के अधिकार के तहत मुख्य सेवाएं और तय समय अवधि
राशन कार्ड 10 दिन
नया बिजली कनेक्शन 15 दिन
नवीन शस्त्र लाइसेंस 90 दिन
वन्य जीवों द्वारा मनुष्य/पशुकी जीवन हानि का मुआवजा 30 दिन
मृत पशुओं का निस्तारण 2 दिन
मनरेगा जाॅब कार्ड उपलब्ध कराना 15 दिन
सड़कों/नाली/नालों की सफाई 7 दिनपर्वतीय निवास प्रमाण पत्र 15 दिन
पर्वतीय निवास प्रमाण पत्र 15 दिन
परिवार रजिस्टर पंजीकरण व प्रतिलिपि 3 दिन
आंगनबाड़ी में बच्चों का पंजीकरण 15 दिन
दैवीय आपदा आर्थिक सहायता 7 दिन
मुख्यमंत्री राहत कोष से प्राप्तधनराशि का वितरण 5 दिन
सोसाइटी/फर्म/चिट पंजीकरण 30 दिन
जाति/स्थायी/आय प्रमाण पत्र 15 दिन
दिव्यांग व्यक्ति को पहचान पत्र/बस पास जारी करना 7 दिन
बस पास जारी करना 7 दिन
उत्तरजीवी/पारिवारिक सदस्यताप्रमाण पत्र 15 कार्य दिवस
राजस्व अभिलेखों मेंविरासत दर्ज करना 7 दिन
नया पानी/सीवर कनेक्शन 15 से 30 दिन
अगर समय पर सेवाओं का लाभ न मिले तो इन नम्बरों पर करें शिकायत की जा सकती है। वाट्सएप नम्बरः 7617579050, 7617579040, 7617579041, 7617579071टोल फ्री नम्बर: 1800-270-9818। सरकार ने सेवा अधिकार अधिनियम बना दिया है,अब आवश्यकता है, अधिकार पाने व दोषियों के खिलाफ कार्यवाही हेतु जागरुक होने की।