गो0ब0 पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के सामाजिक एवं आर्थिक विकास केन्द्र के तत्वाधान में भारत के सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीण समुदाय के किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु “स्थानीय पारम्परिक फसलों के उत्पादन एवं प्रसंस्करण द्वारा जैव विविधता संरक्षण एवं आजीविका संवर्धन” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन बलुवाकोट, धारचूला में किया गया। इस कार्यशाला में दारमा, व्यास एवं चौदास घाटियों से आये जनप्रतिनिधि एवं 60 से अधिक महिला, पुरूष किसानों ने प्रतिभाग किया।

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कार्यशाला में संस्थान की वैज्ञानिक डॉ0 शैलजा पुनेठा ने कार्यशाला की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए स्थानीय पारंपरिक फसलों के उत्पादन, पारंपरिक किस्मों एवं खाद्य प्रसंस्करण, संरक्षण एवं उनके मूल्य संवर्धन द्वारा आजीविका संवर्धन की जानकारी दी जिनसे उत्पादन एवं कृषकों को लाभ मिल सके। उन्होंने खेती के आधुनिक तकनीकों के साथ ही पारम्परिक तौर तरीकों को उपयोग कर सतत विकास की सम्भावनों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।

उद्यान विभाग से भेषज कार्यकम के प्रभारी ने विभाग द्वारा संचालित जड़ी बूटी उत्पादन संबंधी सभी योजनाओं की जानकारी दी। एम्.एच.आर.डी. के शाखा केंद्र, पिथौरागढ़ से आए श्री एन.डी. जोशी ने जड़ी बूटी उत्पादन हेतु पंजीकरण सम्बन्धी विस्तृत जानकारी कृषकों को दी एवं संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यो पर चर्चा की। हिमचुली एग्री फॉउण्डेशन के डाइरेक्टर श्री किशन बोनाल एवं श्री भूपाल सिंह गड़िया जी ने प्रोडक्ट मार्केटिंग एवं बिजनेस प्लान के बारे में किसानों को बताया।

कार्यशाला के अंत में आर.एल.एम्. के स्टार्टअप ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम के क्षेत्रीय प्रभारी श्री लाल जी ने स्वयं सहायता समूहों के लिए चलाये जा रहे स्टार्टअप उद्यमिता कार्यक्रम की जानकारी दी। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में संस्थान की वैज्ञानिक डॉ0 शैलजा पुनेठा ने भारत सरकार के द्वारा चलाये जा रहे बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के माध्यम से सीमावतीय क्षेत्रों एवं ग्रामीण समुदाय को दिए जा रहे लाभ के बारे में बताया। इस कार्यशाला में बलुआकोट के ग्राम प्रधान श्री पूरन सिंह जी ने अपना सम्पूर्ण सहयोग देकर कार्यक्रम को सफल बनाने में मदद की। कार्यक्रम में कमला देवी, कुंती देवी, राहुल सामंत, तुलसी देवी, लोकेश सिंह आदि उपस्थित रहे।

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