( जन स्वास्थ्य संघर्ष मोर्चा के अग्रणी नेता उपपा के केन्द्रीय अध्यक्ष एडवोकेट पी सी तिवारी ने मिडिया के माध्यम से सरकार को घेरा)
स्वास्थ्य है सबका अधिकार, बंद करो इसका व्यापार” का जिन्न ग्यारह साल बाद फिर बोतल से बाहर निकल आया है , जन स्वास्थ्य संघर्ष मोर्चा के अग्रणी नेता उपपा के केन्द्रीय अध्यक्ष एडवोकेट पी सी तिवारी ने मिडिया के माध्यम से सरकार को घेरा है। काफी देर तक चली वार्ता में एडवोकेट पी सी तिवारी ने कहा वर्ष 2014 में चरमराती स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जन स्वास्थ्य संघर्ष मोर्चा के बैनर तले एक आंदोलन शुरू हुआ जिसमें मंजू तिवारी की मौत की न्यायिक जांच, स्वास्थ्य का बाजारीकरण बंद करने चिकित्सकों की नियुक्ति, चिकित्सालय में उपकरण आदि की व्यवस्था स्वास्थ्य न्यायिक आयोग, स्वास्थ्य जन सुनवाई आदि को लेकर आंदोलन किया सरकारों ने विगत दस साल से अधिक समय में इस महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकारें आयी गयी पर ठोस कदम नहीं उठाए गए।
चिकित्सा का बाजारीकरण हावी हो रहा है, जांच में कमीशनखोरी हो रही गाड़ी से लेकर विदेश यात्रा तक प्रलोभन है।दवाई में छूट मिलनी चाहिए, विशेषज्ञ की कमी छायी रहती है। मासिक जन सुनवाई ठंडे बस्ते चली गयी। उच्च स्तरीय स्वास्थ्य न्यायिक आयोग का गठन की मांग पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सरकारें चुप रही। पच्चीस साल में कुछ नहीं हुआ।रैफर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
ड्यूटी में कर्मी नहीं मिलते हैं। इन मौतों का जुम्मेदार कौन है। पदासीन वरिष्ठ चिकित्सक को स्वास्थ्य सेवाओं में सीधा लगाने में क्या गुरेज है।समान नागरिक संहिता की तर्ज पर समान स्वास्थ्य संहिता क्यों नहीं बन रही हैं।
चौखुटिया से पहल चालू हुयी है, आंदोलन आगे बढ़ाना होगा। एडवोकेट पी सी तिवारी ने कहा जन स्वास्थ्य संघर्ष मोर्चा का गठन वरिष्ठ पत्रकार पी सी जोशी ने गैर राजनैतिक संगठन के रूप में किया था इसे आगे भी इसी तर्ज पर चलाया जायेगा तथा समय समय पर जनता से संवाद कर कार्यक्रम और आंदोलन की भूमिका तय की जायेगी।पत्रकार वार्ता में पुष्कर सिंह बिष्ट, आंनदी वर्मा, एडवोकेट नारायण राम सहित अनेक लोग उपस्थित रहे




















