भा.कृ.अनु.प. – विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा“पर्वतीय कृषि“पर एक लघु पाठ्यक्रम 30 दिसंबर 2024 से 3 जनवरी 2025 तक प्रायोगिक फार्म, हवालबाग में आयोजित किया गया।

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इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी के बी.एससी. (कृषि) के कुल 39 छात्रों ने भाग लिया, जिनमें 20 छात्र और 19 छात्राएं शामिल थीं। प्रतिभागी छात्र भारत के हरियाणा, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों के साथ-साथ नेपाल से भी थे।

संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कांत ने छात्रों के साथ संवाद किया और “पर्वतीय कृषि का अवलोकन” विषय पर एक व्याख्यान दिया। छात्रों ने अपने अनुभव और भविष्य की आकांक्षाओं को साझा किया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विभिन्न विषयों पर व्याख्यान और व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें पर्वतीय कृषि का परिचय, पर्वतीय फसलों में प्रजनन की बुनियादी जानकारी, कीट और रोग प्रबंधन, पर्वतीय कृषि में यंत्रीकरण, उन्नत खेती पद्धतियां, पोषण सुरक्षा में पर्वतीय फसलों की भूमिका, उच्च मूल्य वाली सब्जियों पर केंद्रित संरक्षित खेती, जल प्रबंधन और कृषि में सूक्ष्मजीवों की भूमिका शामिल थे।

छात्रों को आधुनिक और पर्वतीय कृषि में ड्रोन के उपयोग से परिचित कराया गया और छिड़काव के व्यावहारिक प्रदर्शन दिखाए गए। पौध जैवप्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, कृषि रसायन एवं सूक्ष्मजीव विज्ञान प्रयोगशाला, और हेरिटेज प्रयोगशाला में चल रही शोध गतिविधियों से छात्रों को अवगत कराया गया।

छात्रों के लिए अल्मोड़ा जिले में प्रसिद्ध जागेश्वर मंदिर समूह के पास स्थित मॉडल गांव भगरतोला का एक शैक्षणिक दौरा आयोजित किया गया, जहां उन्होंने कृषकों के खेतों में संस्थान की प्रौद्योगिकियों को देखा और समझा।

इसके अलावा, छात्रों के लिए अल्मोड़ा के मानसखंड विज्ञान केंद्र का दौरा भी आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन प्रमाणपत्र वितरण के साथ हुआ।

प्रतिभागियों ने कार्यक्रम से प्राप्तज्ञान और अनुभव की सराहना की औरपर्वतीय कृषि से संबंधित वैज्ञानिक तकनीकों की व्यावहारिक समझ विकसित करने में संतोष व्यक्त किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. रमेश सिंह पाल, डॉ. नवीन चंद्र गहत्यारी और डॉ. संथिया एस. द्वारा किया गया।

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