देहरादून: राज्य में रेस्ट्रो संचालकों के लिए एक नियम का पालन करना अनिवार्य हो गया है। उन्होंने ग्राहक को परोसे जाने वाले मांस की जानकारी देनी होगी, यानी झटका श्रेणी का मांस परोसा जा रहा है या फिर हलाल श्रेणी का, ये सब जानकारी रेस्टोरेंट को हर हाल में देनी होगी। राज्य के सभी रेस्ट्रों संचालकों को मीट परोसने से पहले बोर्ड पर इस संबंध में जानकारी चस्पा (चिपकानी) करनी होगी। रेस्ट्रों मालिक को बताना होगा कि देने वाला मांस कौन-सी श्रेणी का है।

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उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक आयोग की रिकमेंडेशन पर कई जिलों के जिलाधिकारियों ने झटका मांस की जानकारी को सार्वजनिक करने को लेकर आदेश दिए हैं। प्रदेश ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और रुद्रप्रयाग जिले में इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। अल्पसंख्यक आयोग डॉ. राकेश जैन ने कहा कि समय-समय पर सामाजिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इस सुझाव राज्य सरकार और जिला प्रशासन को दिए जाते है। कुछ जिलों के जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा यह आदेश किए गए है।

जिला प्रशासन द्वारा सख्ती बरते जाने पर तमाम रेस्टोरेंट संचालक और मांस विक्रेता झटका और हलाल श्रेणी का ध्यान रखेंगे। अल्पसंख्क आयोग के अध्यक्ष, महासचिव और सिख समन्वय समिति देहरादून ने संयुक्त प्रार्थना पत्र जारी सभी होटल, रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले मांस को स्पष्ट रुप से प्रदर्शित करने की मांग की थी। जिस पर अल्पसंख्यक आयोग ने एडवाइजरी जारी की। अब जिला प्रशासन ने इस संबंध में सभी रेस्टोरेंट संचालकों को सख्त निर्देश दिया है।

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