उत्तराखंड में कुछ ऐसी बातें हो रही हैं जो तंत्र को लेकर प्रबुद्ध जन मानस की चिंता बढ़ाती हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने उद्यान घोटाले में राज्य सरकार की एसएलपी को खारिज कर यह संकेत दे दिया है कि, हाईकोर्ट की जो आशंका है कि उद्यान घोटाले में कोई बड़ा मगरमच्छ संलिप्त है उसकी व्यापकता और गहराई को देखते हुये हाईकोर्ट ने जो निर्णय दिया, सुप्रीम कोर्ट ने उस आशंका की पुष्टि की है। मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सीएलपी के नेता के इस बयान का समर्थन करता हूं कि मुख्यमंत्री जी को राज्य के उद्यान मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए और ताज्जुब की बात यह है कि घोटाला केवल उद्यान तक सीमित नहीं है।

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को लेकर शासन के नाक के नीचे देहरादून के चारों तरफ जो अंधेरगर्दी हुई है वह यह जताने के लिए काफी है, इन दोनों विभागों में धन कमाओ और लूट खाओ के सिद्धांत पर काम हो रहा है। विपक्ष के लिए भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद चुनौती बढ़ गई है और भी कुछ मामले हैं जिनको सीबीआई को सौंपा गया है, बल्कि कुछ और मामले भी हैं जिनको सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए।

आर्थिक घोटाले सामाजिक कोड़ हैं, कुछ लोग इसकी आड़ लेकर के अत्यधिक धन संपन्न हो जा रहे हैं वह राज्य की राजनीति को अपनी दासी बनाना चाह रहे हैं। राजनैतिक दल, ऐसे धन लुटेरों के आगे समर्पण करते हुए प्रतीत हो रहे हैं।

यदि कुछ प्रकरणों में ऐसे लोग दंडित होंगे तो राज्य निर्माण का जो उद्देश्य है, शायद उस उद्देश्य को बचाने में हम सफल हो जाएंगे। ऐसे लोग किसी पार्टी में हों, किसी सरकार में हों वह सम्यक नहीं है।

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