(अविभाज्य उत्तर प्रदेश से मामला विवाद में चला आ रहा है, कभी स्थायी दोयम, कभी मूल दोयम)।

Advertisement

प्रदेश मुख्यमंत्री धामी की की गयी घोषणा मूल निवासी प्रमाण पत्र होने पर स्थायी निवास प्रमाण पत्र की बाध्यता समाप्त करने, से मूल व‌ स्थायी निवास के प्रमाण पत्र की पात्रता के बहस का जिन्न एक बार‌ फिर बोतल से बाहर आ गया है। मूल व‌‌ स्थायी, निवास व‌ अधिवास का मुद्दा पचास साल से अधिक समय का है पर इसका कोई ठोस समाधान नहीं हो पाया अधिवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता तकनीकी शिक्षा, नौकरी आदि में आरक्षण हेतु है।

यह मुद्दा अविभाज्य उत्तर प्रदेश में उठा था, तब मूल निवास को दोयम दर्जे का स्थान दिया स्थायी निवास हेतु अनेक महत्वपूर्ण नियम थे। उत्तराखंड राज्य में कांग्रेस सरकार में राज्य अस्तित्व आने पर मूल निवास प्रमाण जारी होने बंद‌ हो गये। अब इंतजार है कि यह मुद्दा फिर उठ गया है तो कुछ समाधान होगा या फिर ठंडे बस्ते में……

Advertisement
Ad Ad Ad
Advertisement
Advertisement
Advertisement