भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र हवालबाग में आज दिनाँक 27 सितम्बर, 2024 को “सुपोषित भारतः सशक्त भारत’ थीम पर आधारित 49वें कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि डा० शिव प्रसाद किमोठी, माननीय सदस्य, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली रहे। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने संस्थापक प्रो. बोसी सेन एवं श्रीमती गर्टयुड इमर्सन सेन को नमन करते हुए संस्थान के शोध कार्यों की सराहना करते हुये कहा कि आजादी के बाद से अन्न, बागवानी, दुग्ध एवं मत्स्य उत्पादन में सराहनीय वृद्धि हुयी है।

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फलस्वरूप देश अपनी अन्न आवश्यकताओं को पूर्ण करने के साथ-साथ इन उत्पादों को निर्यात भी करने में सक्षम हो रहे हैं। उनके अनुसार आज कृषि उत्पादन केन्द्रित के स्थान पर आमदनी केन्द्रित हो गयी है अतः कृषकों को नई शोघ तकनीकियों को अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ाने हेतु प्रयासरत रहना चाहिये और यह तभी सम्भव है जब कृषक इसके लिये स्वयं आगे आयेंगे।

जलवायु परिवर्तन के मध्येनजर उन्होंने वैज्ञानिकों से जलवायु अनुकूलित प्रजातियों एवं तकनीकियों का विकास करने को कहा ताकि सभी कृषि आधारित संस्थानों के प्रयासों से देश की आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक देश विकसित राष्ट्र के सपने को पूरा कर सकें। इससे पहले संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त द्वारा मुख्य अतिथि, अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथियों, आगन्तुकों व कृषकों का स्वागत करते हुए संस्थान की स्थापना तथा पर्वतीय कृषि के क्षेत्र में संस्थान द्वारा किये गए शोध कार्यों तथा विकसित तकनीकों का विवरण दिया गया।

संस्थान की 100 वर्ष की उपलब्ध्यिों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि यह संस्थान अभी तक 200 से अधिकउन्नतशील प्रजातियों का विकास कर चुका है। विगत वर्ष संस्थान द्वारा 14 उन्नतशील प्रजातियों का विकास किया गया जिसमें मक्का की वी.एल. त्रिपोषी, वी.एल. पोषिका, वी.एल. शिखर, धान की वी.एल. बोसी धान, मंडुवा की वी.एल. मंडुवा 402 व 409, मादिरा की वी.एल. मादिरा 254 एवं चुआ की वी.एल. चुआ 140 प्रमुख है।

इस वर्ष संस्थान द्वारा विकसित तीन तकनीकों का पेटेंट हेतु आवेदन किया गया है तथा विभिन्न निजी संस्थानों से विकसित 11 तकनीकियों हेतु समझौता किया गया है। संस्थान के कृषकों के प्रक्षेत्र में करवाये गये अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों में 23 से 52 प्रतिशत तक उपज वृद्धि प्राप्त की गयी है।

संस्थान द्वारा जनजातीय उप-योजना के अन्तर्गत चार जिलों में लगभग 43 गांवों में तकनीकों का प्रसार किया गया है, जिससे कृषकों की आय में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। उन्होंने संस्थान द्वारा नये क्षेत्रों में किये जा रहे शोधों के बारे में जानकारी दी।समारोह के दौरान सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के कुलपति डा. सतपाल सिंह बिष्ट ने संस्थान की उपलब्धियों पर हर्ष व्यक्त करते हुए विवेकानन्द परिवार के समस्त सदस्यों को बधाई दी।

गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान, कोसी, कटारमल के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने उत्कृष्ट शोध एवं विकास कार्यों हेतु संस्थान को साधुवाद दिया और कहा कि कृषक इस संस्थान की तकनीकियों का लाभ लेकर कृषि तंत्र को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बना सकते हैं।

आकाशवाणी, अल्मोड़ा के कार्यक्रम प्रमुख श्री रमेश चन्द्रा ने कृषकों से इस संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों अपनाने का आह्वाहन किया। उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक डा. संजय कुमार ने कृषकों के महत्व को बताते हुए कहा कि किसान हैं, तो अन्न है और अन्न है तो जीवन है तथा जीवन है तो समृद्धि है।

उन्होंने कहा कि इस संस्थान की तीन प्रजातियाँ हमारे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गयी हैं जिसके लिए यह संस्थान बधाई का पात्र हैं। अल्मोड़ा नगर के पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्री प्रकाश चन्द्र जोशी ने अपने सम्बोधन में संस्थान के 100 वर्ष पूर्ण करने पर हर्ष व्यक्त करते हुए इसकी उपलब्यिों के लिए बधाई दी। संस्थान के पूर्व निदेशक, डा. जगदीश चन्द्र भट्ट ने प्रयोगशाला से खेत तक कार्यकम का जिक करते हुए संस्थान के कृषकों की आय में वृद्धि करने के प्रयासों की सराहना की।

मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा संस्थान की प्रजातियों नामतः मक्का की वी.एल. त्रिपोषी, सब्जी मटर की वी.एल. उपहार, मादिरा की वी. एल. मादिरा 254 तथा चुआ की वी.एल. चुआ 140 का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही संस्थान के प्रकाशन पर्वतीय कृषि दर्पण का विमोचन किया गया।

मेले के दौरान प्रगतिशील किसान श्री नैन सिंह खेतवाल, श्री नवीन चन्द्र आर्या, श्री बसन्त लाल, श्री खीम सिंह, श्री हर सिंह, श्रीमती नारायणी देवी एवं श्रीमती दीपा लोशाली को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर संस्थान में चल रही जनजातीय उप-योजना के अन्तर्गत लखनी गाँव के कृषकों को पावर वीडर का वितरण किया गया।

किसान मेले में आयोजित प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनेक संस्थानों, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों द्वारा प्रतिभाग किया गया एवं लगभग 25 प्रदर्शनियाँ लगायी गयी। इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों एवं विभागों के वैज्ञानिक एवं अधिकारी के अलावा विभिन्न क्षेत्रों से आये 834 कृषक भी उपस्थित थे।

मेले में आयोजित कृषक गोष्ठी में पर्वतीय कृषि से सम्बन्धित विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी साथ ही कृषकों की विभिन्न समस्याओं का कृषि वैज्ञानिकों द्वारा त्वरित समाधान किया गया। विभिन्न कृषकों द्वारा अपने अनुभव साझा किये गये। किसान मेले में कृषक गोष्ठी का संचालन डा. कमल कुमार पाण्डे, कार्यक्रम का संचालन डा. आशीष कुमार सिंह व श्रीमती निधि सिंह एवं धन्यवाद प्रस्ताव डा. निर्मल कुमार हेडाऊ, विभागाध्यक्ष, फसल सुधार द्वारा किया गया।

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