गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा मे विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस की इस वर्ष की थीम वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना पर विभिन्न जन जागरूकता कार्यक्रमों और विभिन्न औषधीय पादपों का रोपण भी किया गया। इस कार्यक्रम मे संस्थान के वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों ने बढ़ चढ़कर प्रतिभाग किया।
संस्थान के जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केंद्र द्वारा ‘अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस’ के अवसर पर पी. एम्. श्री गोविन्द बल्लभ राजकीय इंटर कालेज, खूंट में एक गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे विद्यालय के कक्षा 6 से 12 तक के 270 छात्र छात्राओं एवं अध्यापकों ने प्रतिभाग किया. कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री अरविन्द बिष्ट द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस की महत्ता एवं विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव, भारत सरकार ने ‘मिशन लाइफ’ एवं ‘एक पेड़ माँ के नाम’ , जैव विविधता का संरक्षण इत्यादि विषयों पर अपने विचार साझा किए.
संस्थान के डा० रविन्द्र जोशी ने प्लास्टिक उन्मूलन पर विशेष जोर देते हुए बताया कि प्लास्टिक का हमारे पर्यावरण पर दूषित प्रभाव पड़ता है. इससे जो कूड़ा बनता है उसे हमारे पशु पक्षियों के भोज्य प्रणाली में हानिकारक प्रभाव पद रहे हैं. हम सभी को प्लास्टिक की जगह कागज़ के उपयोग पर जोर देना चाहिये ताकि पर्यावरण के संरक्षण में हम अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें. संस्थान के वैज्ञानिक डा० के.एस. कनवाल द्वारा बताया गया कि वर्ष 2018 एवं 2025 में अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस का मुख्य उद्देश्य ‘प्लास्टिक मुक्त’ वातावरण तैयार करना है. संस्थान का जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन विभाग समय समय पर पर्यावरण संरक्षण हेतु विभिन्न कायक्रमों का आयोजन करता आया है. इसी सन्दर्भ में संस्थान द्वारा आज का विशेष पर्व ‘अन्तर्रष्ट्रीय पर्यावरण दिवस’ विद्यार्थियों के साथ मनाने हेतु हम एकत्रित हुए हैं. हमारा लक्ष्य सभी प्रतिभागियों को प्लास्टिक के कम उपयोग करने पर जोर देना है. आज हम ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के तहत विभिन्न बहुउपयोगी औषधीय पादपों को कृषिकरण हेतु विद्यालय में रोपित करने आये हैं. लगभग 400 मिलियन टन प्लास्टिक कूड़ा प्रतिवर्ष विश्वभर में पैदा होता है एवं उसका केवल 10 प्रतिशत ही दुबारा उपयोग में लाया जाता है. इसी उद्देश्य के तहत हम सभी आज शपथ लेते हैं कि प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करके अपने पर्यावरण को बचायेंगे. इस अवसर पर सभी छात्र छात्राओं, अध्यापकों, वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों द्वारा विद्यालय परिसर में विभिन्न औषधीय पादपो जैसे कि तिमूर, रोजमेरी, तेजपत्ता, लेमन ग्रास, पुदीना इत्यादि का वृहद् रोपण तथा जागरूकता रैली निकाली गयी एवं क्षेत्रीय समुदाय ने कार्यक्रम के सफलतम आयोजन हेतु प्रतिभाग किया.

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संस्थान के ईआईएसीपी सेंटर तथा भूमि एवं जल प्रबंधन केन्द्र द्वारा राजकीय इण्टर कॉलेज, कठपुड़िया में भी विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के शुरूआत में ई0 एम. एस. लोधी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं समन्वयक, ईआईएसीपी केन्द्र, द्वारा सभी गुरुजनों एवं छात्र-छात्राओं का स्वागत करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस एवं उसके महत्व के बारे में बताया तथा उनके द्वारा पर्यावरण में दिन-प्रतिदिन हो रही क्षति की भरपाई हेतु आवश्यक कदम उठाने एवं पर्यावरण संरक्षण में प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही। संस्थान के वैज्ञानिक डा आशुतोष तिवारी द्वारा बताया कि प्लास्टिक प्रदूषण आज के समय की एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या बन चुकी है, जिससे न केवल मानव जीवन, बल्कि समूचा जैविक तंत्र प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बताया कि इसका समाधान केवल शासन या संगठनों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक को इसमें अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। विशेष रूप से छात्र-छात्राऐं समाज का वह जागरूक वर्ग है, जो बदलाव की दिशा तय कर सकते हैं। इसी उद्देष्य से छात्रों को प्लास्टिक प्रदूषण को पूर्ण रूप से समाप्त करने हेतु प्रेरित किया गया। संस्थान के वैज्ञानिक ई0 हिमांशु जोशी द्वारा छात्र छात्राओं को प्लास्टिक प्रदूषण एवं माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक प्रदूषण आज एक गंभीर वैष्विक समस्या बन चुका है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि जल, मृदा और जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। माइक्रोप्लास्टिक कण हमारे जल श्रोतों और खाद्य श्रंखला में प्रवेश कर चुके हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक से बचने, पुनः उपयोग योग्य वस्तुओं का प्रयोग करने, कचरे का सही प्रबंधन करने तथा जागरूकता फैलाने जैव उपायों पर जोर दिया।

संस्थान के पर्यावरण आकलन एवं जलवायु परिवर्तन केंद्र द्वारा एकल उपयोग प्लास्टिक विषय पर विचार विमर्श सत्र का आयोजन किया गया जिसमे केंद्र के वैज्ञानिकों तथा शोध विधयार्थियों ने अपने विचार साझा किए और उन्होंने प्लास्टिक को पर्यावरण और मानव के लिए बेहद घातक बताया और प्लास्टिक का अपने दैनिक उपयोग मे कम से कम प्रयोग करने की बात कही। संस्थान की वैज्ञानिक डा मिथिलेश सिंह द्वारा एकल-प्रयोग प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में बताया गया और पर्यावरण अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए जागरूक और छात्रों को प्लास्टिक प्रदूषण को पूर्ण रूप से समाप्त करने हेतु प्रेरित किया।
संस्थान द्वारा राजकीय इंटर कॉलेज पांगु, चौदास क्षेत्र, धारचुला, पिथौरागढ़ के छात्र छात्राओं, अध्यापकों एवं ग्रामीणों के साथ भी विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से विद्यालय के छात्र छात्राओं और ग्रामीणों को पर्यावरण के महत्वत्ता की जानकारी और प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने तथा प्लास्टिक के उपयोग को कम करने एवं प्लास्टिक के दुष्प्रभाव से लोगो को अवगत कराया।

इसी क्रम मे संस्थान के सामाजिक आर्थिक विकास केंद्र ने जिला प्रशासन के साथ प्लास्टिक मुक्त वातावरण के लिए बैठक में भाग लिया और कार्यालयों में पाइन सुई से बने जैविक फाइलों के उपयोग के लिए महत्व दिया। उन्होंने संस्थान द्वारा बनाए जा रहे विभिन्न पाइन उत्पादो से जिला प्रशासन और जिला विकास अधिकारी को अवगत कराया।

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