विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक डाक्टर लक्ष्मी कांत व अन्य वैज्ञानिकों ने एक विज्ञप्ति जारी कर पर्वतीय क्षेत्र में हुयी बारिश के फायदों का लाभ लिये जाने की विधि बतायी है, विज्ञप्ति में कहा गया है कि,किसान भाइयों काफी दिनों के बाद पिछले दिनों में लगभग 15 मिमी बारिश हुई है जो फसलों के लिए अत्यंत लाभदायक होगी।

Advertisement

आगे के कुछ दिनों तक मौसम साफ रहने की आशा है। अगले 2-3 दिन कुछ स्थानों पर जमीनी पाला पड़ने की संभावना है| उच्च मूल्य वाली फसलों को ज़मीनी पाले से बचाने के लिए उन्हें ढकें।२: मध्य से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मादिरा या झंगोरा और आलू की बुआई के लिए खेतों की जुताई शुरू करें। मौजूदा समशीतोष्ण उद्यानों में खाली जगह को भरना चाहिए और नए उद्यानों में शीतोष्ण फल पौधों का रोपण करें।

इन फलों के पौधों की  कटाई/छंटाई अगर नहीं हुई है तो उसको सुषुप्तावस्था पर ही पूरी करें।३: गेहूँ में ओलावृष्टि के कारण हल्के या मध्यम नुकसान की स्थिति में, रोगनिरोधी छिडकाव और पोषक तत्वों के प्रयोग से कुछ हद तक सुधार किया जा सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे एक-दो दिन धूप आने के बाद गेहूं में 30 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से यूरिया का छिड़काव करें।  इसके अतिरिक्त मसूर और सरसों तोरिया, आदि में यदि कहीं पर पानी का जमाव हो गया हो तो उसे निकाल दें। जिन सब्जियों में पिछले दिनों आपने सिंचाई की है, संभवतया उनमें पानी का जमाव हो गया होगा उसमें तुरंत जल निकास करें ताकि जड़ों की श्वसन प्रक्रिया में मुश्किल ना हो।

४: प्याज में ओलावृष्टिवृ के कारण हल्के या मध्यम नुकसान की स्थिति में, कवकनाशी का छिड़काव कर सकते हैं। सब्जी फसलों की पौधशाला तैयार करने के लिए पॉलीहाउस परिस्थितियों में टमाटर, शिमला मिर्च और गोभी वर्गीय फसलों के बीज की बुवाई करनी चाहिए तथा खीरे, और छप्पन कद्दू, आदि के पौधे पॉलीबैग में तैयार करें।

५: 2-3 दिन धूप आने के बाद सभी फसलों में निराई गुड़ाई का काम कर सकते हैं। यदि आवश्यक हो, तो मधुमक्खी परिवारों को गुड/ चीनी के रूप में कृत्रिम आहार प्रदान करें।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement