( अगर सरकार और मंदिर कमेटी नहीं करती तो मुझे करने दिया जाय, धर्मशाला के लिए सरकार जगह दे, उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से नीब करोरी महाराज के पोते डाक्टर धनंजय शर्मा ने मुलाकात में ये बात कही)
कैंची धाम को नीब करोली महाराज की तपस्थली और साधना का केन्द्र रहने दें पिकनिक स्पॉट न बनायें , महाराज की भावना के अनुसार लोगों को आवास , भोजन व पूजा का अवसर मिले।अगर सरकार और मंदिर कमेटी नहीं करती तो मुझे करने दिया जाय, धर्मशाला के लिए सरकार जगह दे, उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से नीब करोरी महाराज के पोते डाक्टर धनंजय शर्मा ने मुलाकात में ये बात कही।
प्रदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर पंडित डाक्टर धनंजय शर्मा ने कहा,पूज्य बाबा श्री नीब करौरी महाराज जी ने कैंची धाम की स्थापना इसलिए की थी कि पहाड़ में फैली गरीबी के बीच लोगों को मंदिर की तरफ से भरपेट भोजन मिल जाए। बाबाजी को मंदिर में आने वाले हर आदमी की इतनी ही चिंता रहती थी कि कोई भूखा न वापस जाए। बाबाजी हर आदमी को आलू पूड़ी खिलाकर भी भेजना चाहते थे।
भूखे का पेट भरे इस उद्देश्य से कैंची धाम की स्थापना हुई। किसी को ध्यान विधि आ जाए, किसी को मोक्ष प्राप्त हो जाए, कोई महान योगी तपस्वी बन जाए, ऐसी बाबाजी की कोई इच्छा नहीं थी।वह केवल और केवल पहाड़ में भूखे,गरीब, वंचित, पिछड़े लोगों को भरपेट भोजन खिलाना चाहते थे।
बाबाजी के शरीर छोड़ने के बाद कैंची धाम में अनेक कारणों से भक्तों को भरपेट भोजन कराने की परंपरा खत्म हो गई।
बाबाजी के पोते डॉक्टर धनंजय शर्मा जी इस काम को फिर शुरू करना चाहते हैं।वह कई मंचों से कह चुके हैं कि हर साल कैंची धाम में करोड़ों रुपए का दान आ रहा है।और उसके बाद भी भक्तों को न मंदिर में हनुमान चालीसा पाठ करने दिया जाता है और न भोजन कराया जाता है। फिर बाबाजी ने मंदिर बनाया ही क्यों था कि आज न मंदिर में भक्तों को हनुमान चालीसा पढ़ने की इजाजत है और न उन्हें भोजन खिलाया जाता है। क्या कैंची धाम केवल और केवल रील बनाने और फोटो खींचने के लिए स्थापित किया था ? यह प्रश्न सोचने का है कि कैसे एक शक्तिपीठ को आज पिकनिक स्पॉट बनाकर रख दिया गया है।
ऐसे तर्क दिए जाते हैं कि मंदिर में भीड़ बहुत है और जगह नहीं है। इसलिए न हनुमान चालीसा पढ़ सकते हैं और न भोजन खिला सकते हैं।अगर यह बात कुबूल भी कर ली जाए तो प्रश्न उठता है कि मंदिर ट्रस्ट की ऐसी नीयत क्यों नहीं दिखती कि भक्तों को सुविधा देने के लिए एक भी कदम उठाए जाएं।
मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए पार्किंग से लेकर हेलीपैड पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार बना रही है। भक्तों के लिए पाथवे, रोपवे राज्य सरकार बना रही है।यहां तक कि भक्तों के लिए सुलभ शौचालय की व्यवस्था भी राज्य सरकार कर रही है। कैंची धाम मंदिर ट्रस्ट अरबों रुपए का चंदा लेकर भी इतना कमजोर और लाचार हो गया कि वह कुछ नहीं कर पा रहा।न भंडारा कर पा रहा है और न धर्मशाला बना रहा है।कैंची धाम ट्रस्ट से नियमित रूप से स्थानीय पत्रकार, बुद्धिजीवी और बाबाजी के पोते धनंजय शर्मा जी से पूछते रहते हैं कि करोड़ों रुपए का क्या इस्तेमाल किया जा रहा है। इस सवाल पर सब मौन धारण कर लेते हैं।
इस सबके बीच बाबाजी के पोते धनंजय शर्मा जी ने कैंची मंदिर से आग्रह किया कि मंदिर में नित्य भंडारा किया जाए। जब मंदिर ट्रस्ट में इस काम में रुचि नहीं दिखाई तो उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी से मुलाकात की। मुख्यमंत्री से धनंजय शर्मा जी ने कहा कि कैंची धाम में बाबाजी से फरियाद करने वालों में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो दुखी हैं गरीब है। ऐसे लोगों को निशुल्क पेटभर भोजन मिल जाए और उनको धर्मशाला मिल जाए रहने को तो बहुत सुविधा होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने बाबाजी के पोते को भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी बात का हर संभव मान करेगी और जमीन पर जल्द कदम उठाए जाएंगे।


