( सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता नितिन जैन,पी सी तिवारी, संजय कुमार अग्रवाल,दीवान सिंह लटवाल, भानु तिलारा,के नेतृत्व में एक कमेटी का हुआ गठन)

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एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 जब से सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया है देश भर के अधिवक्ताओं में विरोध दिखाई दे रहा है। इसी क्रम में राष्ट्र नीति संगठन के तत्वाधान में राष्ट्र नीति संगठन के अध्यक्ष विनोद तिवारी के द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ताओं एवं विधिक विशेषज्ञों से अनुरोध कर इस बिल पर अपने सुझाव और आपत्तियां मांगी थी और एक ज्ञापन की ड्राफ्टिंग की जिसमें सुप्रीम कोर्ट के तथा दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नितिन जैन अल्मोड़ा बार के कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं एड०पीसी तिवारी, एड०संजय कुमार अग्रवाल, एड० दीवान सिंह लटवाल, एड०भानु प्रकाश तिलारा जी एड नारायण राम,आदि वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नेतृत्व में में एक समिति का गठन किया गया।

जिसने इस बिल का अध्ययन किया और कई बिंदुओं का गहन अध्ययन करके सामने प्रकट किया और जिसने कई बिंदुओं पर आपत्ति जताई और एडवोकेट अमेंडमेंट 2025, बिल के निम्न प्रावधानों धारा 2 जिसमें अधिवक्ता शब्द का विस्तार किया गया है धारा 33 ए जिसमें प्रैक्टिस के अधिकार को सीमित करने का प्रयास किया गया है ,धारा 35 ए जिसमें हड़ताल पर प्रतिबंध लगाया गया है ,धारा 45 अधिवक्ताओं के खिलाफ मामलों में सजा में वृद्धि तथा ,धारा 45 B वकीलों के खिलाफ क्लाइंट को शिकायत करने के अधिकार तथा ,धारा 24 बी ,3वर्ष से अधिक सजा में प्रैक्टिस पर रोक तथा धारा 4 एवं इसके उपखंड है जिसमें बार काउंसिल आफ इंडिया को केंद्र सरकार के निर्देश पर कार्य करने संबंधी प्रावधान दिए गए हैं उक्त विषयों पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है और इन प्रावधानों को रद्द करने का सुझाव इस समिति द्वारा दिया गयाहै।

वही इस समिति के द्वाराएडवोकेट अमेंडमेंट बिल में कई और प्रावधान करने के सुझाव दिए गए हैं जिनमें वकीलों पर होने वाले हमले तथा उनके अपमान के खिलाफ सख्त कानून बनाने तथा नए वकीलों को स्कॉलरशिप देने एवं वकीलों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को चलाने तथा सिविल और क्रिमिनल मामलों में उनकी गिरफ्तारी बिना सीजेएम के अनुमति से न करने संबंधी सुझाव इस प्रकरण में दिए गए हैं।

ज्ञापन देते समय कई अन्य अधिवक्ता एड०विनोद तिवारी,एड० हिमांशु जोशी एड० भूपेश बिष्ट,एड उमेश कांडपाल, एड०फरहीन आदि मौजूद रहे।

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