(उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया)


श्री कैंची धाम के किसानों ने कृषि ऋण नियमावली की नाकामयाबी को लेकर उपजिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज कहा है जनपद नैनीताल/उधमसिंहनगर की प्रारम्भिक ऋण सहकारी समितियों के कैडर सचिव व दोनों जनपदों के सहकारी समितियों पैक्स के कर्मचारी प्रदेश में सहकारिता आंदोलन के त्रिस्तरीय ढाँचे की रीढ़ प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों अपने अपने क्षेत्र के कृषकों के अंशचन को एकत्रित कर अपनी अपनी न्याय पंचायत में एक प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों पैक्स का गठन कर क्षेत्र के लघु कृक्षकों बी०पी०एल० परिवारों को अपने अल्प संसाधनों से उनके कृषि कार्यों व अन्य मूलभूत आवश्यकताओं हेतु ऋण उपलब्ध करा रही है प्रदेश आपकी दूर दृष्टि से परिपूर्ण दीन दयाल उपाध्याय किसान कल्याण योजना का लाभ भी प्रदेश की अति निम्न परिवार तक पहुंचाने का सफल प्रयास पैक्स ने किया है। प्रदेश के सहकारी समितियों के निधनाक अपने उपरोक्त परिपत्र पी 1082-85 से सहकारी समितियों के लोकतांत्रिक स्वरूप की हत्या करने का मन बनाये हुए हैं। जिनका जनपद नैनीताल / उधमसिंहनगर की मैक्स के कैडर सचितव सहकारी समितियों कर्मचारी यूनियन नैनीताल / उधमसिंहनगर पुरजोर विरोध करते हुए निम्न मांग की हैं-
1. बहुउददेशीय प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों केन्द्रीयत नियमावली सहकारी समिति अधिनियम 2003 नियमावली 2004 व समिति की आदेश उपविधियों प्रख्यापित संचालक मण्डल के अधिकारों का हनन कर रही है जो कि नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध है अतः उक्त सेवा नियमावली को प्रदेश में लागू न किया जाये।
2. सहकारी समितियों पैक्स अपने प्रबंधकीय व्यय हेतु किसी भी प्रकार की राजकीय सहायता नहीं ले रही है समितियों अपनी अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार ही अपने कर्मचारियों को वेतन भत्ते दे रही है। कर्मचारियों के सम्बन्ध में वर्ष 1983 से यहों की समितियों में स्टॉफिग पैर्टन लागू है और नवगठित प्रदेश में वर्तमान में स्टॉकिंग पैटर्न परिपत्र सी-128 प्रभावी है। इन पर नरो नियम थोप कर प्रबंध कमेटी के अधिकारों का हनन किया जा रहा है जो विधि संगत नहीं है।
3 सहकारी समितियों एक स्वायत्तशासी संस्था है जो अपने संसाधनों से अपने कृषक सदस्यों के आवश्यकताओं की पूर्ति प्रदेश सरकार की नीति के अनुरूप सहकारी समिति अधिनियम 2003 व नियमावली 2004 एवं पंजीकृत आर्दश उपविधियों के प्रावधानों का पालन करते हुए समितियों का प्रबंध लोकतांत्रिक रिति से कर रही है। इन समितियों के स्वरूप को खंडित न किया जाय।
4. सेवा नियमावली के अध्याय 2 में दी गयी व्यवस्था के अनुसार समिति संचालक मण्डल को पूर्व में अधिनियम, नियमावली व समिति पंजीकृत उपविधियों से प्राप्त अधिकार यथा कर्मचारियों की भर्ती नियुक्ति, दण्ड, वेतन भत्ते अवकाश प्रशिक्षण पदोन्नती र अनुशा कार्यवाही, सैवाच्युति तथा अन्य अधिकारों को समापा कर दिया है। व्यवस्था के विरुद्ध है।
5. सहकारी समितियों पैक्स के लोकतांत्रिक स्वरूप में उसकी उपविधियों व निर्वाचित प्रबंध कमेटी के अधिकारों की रक्षा हेतु निबंधक के उपरोक्त परिपत्र पत्रांक 3316/विधि/एपपैक्स नियमावली फरवरी 2024 को तत्काल निरस्त करते हुए निबंधक को अपनी सीमाओं के अन्तर्गत समितियों में अनावश्यक हस्तक्षेप न करने तथा सहकारी समिति अधिनियम 2003 की धारा 121 व 22 में प्राप्त अधिकारों का दुरूपयोग न करने हेतु आवश्यक दिशानिर्देश देने की कृपा करें।
6. मुख्य कार्यकारी अधिकारी की सेवाओं वेतन भत्ते इत्यादि प्रयोजनो हेतु समितियों के अंशदान द्वारा संचयित कैडर फण्ड जिला स्तर पर ही गठित हो। अंशधारी समितियों द्वारा संचयी हेतु कैडर फण्ड को प्रदेश स्तर पर केन्द्रीयत किया जाना न्यायोचित नहीं है।
7. प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समिति कर्मचारी नियमावली के अध्याय 5 में दी गयी बावस्था में वर्ष दौरान समिति द्वारा अर्जित शुद्ध लाभ के सादृश्य कर्मचारियों को पोपाहन राशि देने का प्रावधान किया गया है जो कि सहकारी समिति अधिनियम 2003 की धारा 32 (घ) व नियमावली 2004 में प्रख्यापित व्यवस्था का अतिक्रमण है और समिति के स्वायत्तशासी स्वरूप को सांचित करेगा।
C8. प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को और अधिक गतिशील बनाने के लिए बहुप्रतीक्षित वैधनाथन कमेटी के सुझावों को लागू किया जाये।महोदय उक्त नियमावली में अत्यधिक विरोधाभास व खामियों है अतः उक्त नियमावली को लागू किया जाना विधि संगत नहीं होगा।
मान्यवर हमें आपसे पूर्ण न्याय की आशा है कृपया अविलंब हस्तक्षेप कर अपने विवेकपूर्ण निर्णय से समितियों के लोकतांत्रिक स्वायत्तशासी स्वरूप को बचाने के लिए इस नियमावली को खारिज करने हेतु समबन्धित को आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने का कष्ट करेंगें।


