( उत्तर प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम के प्राविधानों की अनदेखी न हो। विनोद तिवारी)
राष्ट्र नीति संघ के अध्यक्ष विनोद तिवारी ने उत्तराखंड हाई कोर्ट को शिफ्ट न किये जाने हेतु भारत के मुख्य न्यायाधीश को जिला प्रशासन अलमोडा़ के माध्यम से ज्ञापन दिया।अपर जिला अधिकारी सीएस मर्तोलिया के साथ मुलाकात करके उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय को नैनीताल हाईकोर्ट शिफ्ट न करने को लेकर एक ज्ञापन सोपा ।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया, राज्य गठन के समय राजधानी गढ़वाल में बनाई गई थी और हाईकोर्ट कुमाऊं में रखा गया था जिससे सामाजिक संतुलन बना रहे और जनता में भी सौहार्द बना रहे इस सिद्धांत का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।
वही राष्ट्र नीति संगठन ने जनमत संग्रह को अनुचित बताया और स्पष्ट कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 26 के क्लोज दो और तीन में यह स्पष्ट प्रावधान है कि राष्ट्रपति एवं राज्यपाल के अनुमोदन से ही उच्च न्यायालय के स्थान को निर्धारित किया जा सकता है यह एक स्थापित सिद्धांत है।
राष्ट्र नीति संगठन ने अपने ज्ञापन में इस सिद्धांत को भी बताया कि वर्तमान समय में अधिकांश दफ्तर राजधानी सभी देहरादून शिफ्ट हो चुके हैं यह राज्य पहाड़ के आधार पर निर्मित हुआ था और कहीं ना कहीं राज्य के स्थापना की अवधारणा का घर हनन किया जा रहा है।
राष्ट्र नीति संगठन ने बताया कि जो लोग कहते हैं कि देहरादून से अधिकारियों को नैनीताल आने में समस्या होती है तो देहरादून एक अस्थाई राजधानी है शीध्र स्थाई राजधानी घोषित किया जाए।वही उम्मीद जताई जा रही है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय जल्दी इस विषय पर संज्ञान लेगा। और समस्या का निदान होगा।