(प्रत्येक वर्ष वन्य जीव संरक्षण हेतु दो अक्तूबर से आठ अक्टूबर तक मनाया जाता है, कार्यक्रम)
गो0 ब0 पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान के जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबन्धन केन्द्र द्वारा वन्य जीव सप्ताह के उपलक्ष्य पर मस्तिष्क मंथन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के बर्हि-स्थाने संरक्षण केन्द्र सूर्य कुंज में किया गया। इस कार्यक्रम में श्री भुवन नौटियाल (समाज सेवी) मुख्य अतिथि तथा श्री तपस मिश्रा, रेंज ऑफिसर, रानीखेत मुख्य वक्ता रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए सर्वप्रथम संस्थान के निदेशक प्रो0 सुनील नौटियाल ने मुख्य अतिथि श्री भुवन नौटियाल, श्री तपस मिश्रा, वन विभाग के अधिकारियों, सभी वैज्ञानिकों एवं शोधार्थीयों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1957 से वन्य जीवों के संरक्षण हेतु प्रत्येक वर्ष 2-8 अक्टूबर तक वन्य जीव सप्ताह का आयोजन किया जाता हैं।
प्रो0 नौटियाल ने आगे कहा कि वर्ष 2022-2023 में केवल उत्तराखण्ड में 700 मानव -वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं दर्ज की गई। इस वर्ष का विषय ’सह अस्तित्व के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण’ पर वन्यजीव सप्ताह मनाया जा रहा है। इसी क्रम में संस्थान के शोधार्थी श्री राहुल पाण्डे द्वारा वन तथा वनाग्नि शीर्षक पर कविता पाठ किया गया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जैव विविधता केन्द्र के केन्द्र प्रमुख डा0 आई0डी0 भट्ट ने केन्द्र द्वारा वन्य जीव सप्ताह के अन्तर्गत मनाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की संक्षिप्त जानकारी दी।
उन्होने बताया यह कार्यक्रम 8 अक्टूबर तक चलेगा जिसके अन्तर्गत मस्तिष्क मंथन कार्यक्रम, बिनसर वन्यजीव अभ्यारण्य में भ्रमण तथा डेटा एकत्रण, तथा फोटोग्राफी प्रतियोगिता आयोजित की जा रही हैं। डा0 भट्ट ने बताया कि उत्तराखण्ड में कुल 102 स्तनधारी, 623 पक्षी, 124 मछलियां, 69 रेंगने वाले जन्तु तथा 148 कीट प्रजातियां पाई जाती है।
अतः वन्यजीवों के संरक्षण तथा मानव वन्यजीव संघर्ष जैसे मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देष्य से केन्द्र द्वारा विगत वर्षों की भांति वन्य जीव सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री भुवन नौटियाल जी ने सभी को सम्बोधित किया।
उन्होनें कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रहे विकास कार्यों के कारण वन्य जीवों के प्राकृतिक आवासों पर अतिकक्रमण हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ी है। नौटियाल जी ने आगे बताया कि वर्तमान में उनके द्वारा सम्पूर्ण राज्य में पितृदेव वन आन्दोलन चलाया जा रहा है जिसके उद्देष्य प्रत्येक गॉव में एक पवित्र वन स्थापित करना है।
इसी क्रम में कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री तपस मिश्रा द्वारा मानव वन्यजीव संघर्ष विषय सह अस्तित्व के माध्यम से वन्यजीव संरक्षण पर व्याख्यान दिया गया। उन्होने पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ रहे संघर्षों, इसके मुख्य कारणों तथा समाधानों पर चर्चा की तथा संस्थान द्वारा भविष्य में विभिन्न विषयों पर सहभागिता से कार्य करने की इच्छा जताई।
कार्यक्रम के अन्त में वैज्ञानिक डा0 आषीष पाण्डे द्वारा सभी प्रतिभागियों वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस कार्यक्रम में निदेशक प्रो0 सुनील नौटियाल, केन्द्र प्रमुख डा0 आई0डी0 भट्ट, वैज्ञानिक डा0 एस0सी0आर्या, डा0 के0एस0 कनवाल, डा0 आषीष पाण्डे, डा0 सुबोध ऐरी आदि वैज्ञानिक तथा संस्थान के शोधार्थी उपस्थित रहे।