देहरादून। प्रदेश में खतरे वाले स्थानों को नो सेल्फी जोन घोषित किया जाएगा। ऐसे स्थानों पर सेल्फी लेने पर प्रतिबंध रहेगा। सुरक्षित स्थानों को चिह्नित कर उन्हें सेल्फी जोन के तौर पर विकसित किया जाएगा। ऐसे सेल्फी स्थलों का जिला प्रशासन, स्थानीय नगर निकाय, जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत व अन्य संस्थाओं के माध्यम से तैयार किया जाएगा। इनके संचालन और रखरखाव का जिम्मा स्थानीय लोगों और महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया जा सकता है। ऐसे सेल्फी स्थलों के निकट कार पार्किंग, अल्पाहार, शौचालय व आवश्यक सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
खतरनाक स्थानजल वाले स्थानः
नदियों, झरनों और तालाबों के पास फिसलन भरे किनारों, नदियों के बहाव वाले स्थान
ऊंचाई वाले स्थानः पहाड़, बिल्डिंग, छत, निर्माणाधीन भवन, पुल, फ्लाइओवर, ऊंचे पेड़,चलती ट्रेन के पासः रोमांच के चक्कर में लोग चलती ट्रेन के निकट, रेलवे ट्रैक, रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्म पर रील बनाते हैं
सड़कों परः ट्रैफिक वाली सड़कों, धार्मिक स्थलों, पर्यटक स्थलों के निकट, मोटरसाइकिल व वाहन तेज गति से चलाकर
DIPIK प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्रों मेंः बाढ़, भूस्खलन, जलभराव वाले स्थानों परसाहसिक खेलों के दौरानः रिवर राफ्टिंग,, पैरा ग्लाइडिंग क्याकिंग, कैनोइंग, नौकायन, बंजी जंपिंग, पर्वतारोहण, ट्रैकिंग, स्काईडाइविंग।
सचिव (आपदा प्रबंधन) विनोद कुमार सुमन ने सुरक्षित सेल्फी के संबंध में प्रशासन, पुलिस के उच्चाधिकारियों, डीएम व पुलिस कप्तानों को विस्तृत दिशा-निर्देश को लेकर पत्र भेजा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि मौजूदा दौर में सेल्फी लेने और इसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड करने का प्रचलन तेजी बढ़ा है। स्मार्ट फोन के उपयोग और सोशल मीडिया पर लोकप्रिय होने के लिए सेल्फी को लेकर हो रही होड़ में लोग अपनी जान तक गंवा रहे हैं। खासकर युवा वर्ग अपनी जान की परवाह किए बगैर खतरनाक स्थलों पर जाकर सेल्फी लेते हुए हादसे का शिकार हो रहे हैं।


