शार्क टैंक का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो का कनेक्शन उत्तराखंड से हैं। पहाड़ के पिस्यूं लूंण को देश-दुनिया में पहुंचाने वाली शशि बहुगुणा रतूड़ी गांव से शार्क टैंक तक पहुंच गई है और पूरा उत्तराखंड उन पर गर्व कर रहा है। पिस्यूं लूंण के साथ उत्तराखंड के लोगों का खास नाता है। महानगर में रहने वाले लोग पिस्यूं लूंण के बारे में सुनते ही अपने पुराने दिनों को याद करने लगते हैं।सोनी के शार्क टैंक इंडिया कार्यक्रम में ‘नमकवाली’ ब्रांड से पिस्यूं लूण को रोजगार का जरिया बनाने वाली शशि बहुगुणा रतूड़ी भी पहुंची। उनकी कहानी ने सभी जजों को प्रभावित किया। उन्होंने बताया कि इस काम में उनके पति भी उनकी मदद करते हैं। उनके साथ उनके दोनों बेटे भी जुड़े हैं। शशि बहुगुणा रतूड़ी ने ये भी बताया कि गांव में वो महिला सशक्तिकरण के लिए भी काम कर रही है। टिहरी निवासी शशि बहुगुणा ने बताया कि वो सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी हैं।

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नमकवाली’ के जरिए उन्होंने गांव की कई महिलाओं रोजगार दिया है। उनकी कोशिश है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की राह पर चले ताकि उत्तराखंड अपनी एक खास पहचान बना सकें। उन्होंने जजों को बताया कि ऑर्गेनिक तरीके से नमक को सिलबट्टे पर पीसा जाता है। नमक को 50 ग्राम, 100 ग्राम, 200 ग्राम के पैकेट्स में पैक कर के ऑनलाइन मार्केटिंग के जरिये देश-दुनिया के कोने कोने में पहुंचाया जाता है।सन 1982 से समाज हित में कार्य कर रही शशि रतूड़ी ने टिहरी से लेकर अल्मोड़ा कई जगह महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काम किया है।

उन बच्चों की देखरेख के लिए बालवाड़ी स्कूल खोलने का नेक काम किया, जिनकी माताएं काम पर जाने के कारण उनकी देखभाल नहीं कर पाती। शशि बहुगुणा रतूड़ी बताती हैं कि नमकवाली की शुरुआत चंद महिलाओं के साथ करीब 2017 में हुई थी। तब हमारी सोच यही थी कि क्यों ना सिलबट्टे से बने नमक को मार्केट में उतारा जाए। इसके बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने भी काफी मदद की है। उन्होंने बताया कि मुंबई से कोलकाता या देश का शायद ही कोई बड़ा शहर हो, जहां अबतक उन्होंने सप्लाई ना की हो।

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