गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा के पर्यावरण आंकलन एवं जलवायु परिवर्तन केंद्र द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम के तहत संस्थान के निम्सी बिल्डिंग के आस पास सूखे से निपटने वाले जंगली खाद्य पदार्थों/औषधीय पौधों (टैक्सस वालिचियाना) का रोपण किया गया। दिनांक 26 मई से 05 जून 2024 तक चलने वाले इस कार्यक्रम के तहत भूमि बहाली, सूखे से निपटने और मरुस्थलीकरण का रोकथाम विषयगत क्षेत्रों के तहत विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

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 कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए पर्यावरण आंकलन एवं जलवायु परिवर्तन केंद्र के केंद्र प्रमुख और संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे.सी. कुनियाल ने सबको सूखे से निपटने वाले जंगली खाद्य पदार्थों/औषधीय पौधों (टैक्सस वालिचियाना) के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टैक्सस वालिचियाना पौधे का पारंपरिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी पत्तियां और छाल टैक्सोल का मुख्य स्रोत होती है जिसमें कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने की एक अनूठी क्षमता होती है।

इसके अतिरिक्त इसकी छाल और पत्तियों का उपयोग आयुर्वेद में विभिन्न दवाओं को तैयार करने के लिए किया जाता है। उन्होंने वृक्षारोपण के महत्त्व और पर्यावरण तथा मानव जीवन पर इसके प्रभाव से भी सबको अवगत कराया। उन्होंने बताया कि प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए तथा अपने आस पास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण बहुत आवश्यक है।

जिससे प्रकृति में संतुलन बना रहता है। उन्होंने बताया कि हमारे शास्त्रों में भी वृक्षारोपण को लाभकारी बताया है और एक वृक्ष को सौ पुत्रों के समान माना है। अगर प्रत्येक व्यक्ति एक वृक्ष को लगाकर उसका संरक्षण करने का भी संकल्प ले तो यह आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगा।

 इस कार्यक्रम में कम्ब्रिया विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम के प्रोफेसर प्रो. इयान कोनवेरी, प्रोफेसर डॉ. रिचर्ड जॉनसन, बाथ स्पा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. स्टेफ़नी ग्रेशोन, संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. मिथिलेश सिंह, डॉ सुमित राय, श्री महेश चन्द्र सती समेत पर्यावरण आकलन एवं जलवायु परिवर्तन केंद्र के लगभग 50 शोधार्थियों और कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।

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