( विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, विकासखंड में विशाल कार्यक्रम आयोजित कर सीधा प्रसारण देखा गया)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पीएम धन धान्य कृषि योजना, दलहन मिशन तथा अन्य योजनाओं का उद्घाटन दिल्ली से किया। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण जनपद के समस्त विकासखंड मुख्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्र मटेला, विवेकानंद पर्वतीय कृषि संस्थान तथा अन्य स्थानों पर देखा गया। इस वर्चुअल कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीणों तथा कृषकों ने हिस्सा लिया।
जनपद स्तर का मुख्य कार्यक्रम जिला सभागार कक्ष में प्रदर्शित हुआ। इस कार्यक्रम में सचिव उत्तराखंड शासन श्री दिलीप जावलकर, जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय, मुख्य विकास अधिकारी रामजी शरण शर्मा समेत अन्य अधिकारियों तथा बड़ी संख्या में जनपद के किसानों ने प्रतिभाग किया तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों को सुना। इन वर्चुअल कार्यक्रमों में किसानों ने पीएम धन धान्य योजना से संबंधित प्रावधानों, योजना की जरूरत, इसके क्रियाकलापों तथा अन्य पहलुओं को बारीकी से जाना। इस उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 42000 करोड़ रुपए से अधिक की कृषि परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इसमें मत्स्य, दलहन, बागवानी तथा डेयरी समेत अन्य गतिविधियों से संबंधित योजनाएं शामिल हैं।

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बताते चलें कि पीएम धन धान्य कृषि योजना में देशभर के 100 कम कृषि उत्पादकता वाले जिले शामिल हैं। उत्तराखंड राज्य से इस योजना में 2 जिले अल्मोड़ा तथा चमोली को चुना गया है।

क्या है पी०एम० धन धान्य कृषि योजना ?

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना देश के 100 कम उत्पादकता वाले कृषि जिलों को विकसित करने की एक सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य उत्पादकता बढ़ाना, फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना, सिंचाई और भंडारण में सुधार करना और ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह योजना 6 वर्षों के लिए वार्षिक ₹24,000 करोड़ के परिव्यय के साथ लागू की गई है। यह नीति आयोग, कृषि विश्वविद्यालयों और 11 मंत्रालयों के सहयोग से जिला-स्तरीय योजनाओं के माध्यम से काम करती है और ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने पर केंद्रित है।

योजना के मुख्य उद्देश्य

उत्पादकता बढ़ानाः – कम उत्पादकता वाले जिलों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाना।

फसल विविधीकरणः – किसानों को विभिन्न फसलों की ओर प्रोत्साहित करना।

सिंचाई और भंडारणः – सिंचाई की सुविधा और भंडारण क्षमता में सुधार करना.

ऋण उपलब्धताः – किसानों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण की सुलभता सुनिश्चित करना।

स्थायी कृषिः – फसल और जल प्रबंधन के माध्यम से सतत कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।

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