( गिर्दा के सपने आज भी अधूरे हैं, वक्त की आवाज थे , गिर्दा)
उत्तराखंड लोक वाहिनी ने गिरीश तिवारी “गिर्दा”की पुण्यतिथि के अवसर पर एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया.इस अवसर पर उत्तराखंड के जनांदोलनों के ढहसाथ गिरीश तिवारी “गिर्दा” के गीतों को जोड़ते हुए वक्ताओं ने कहा की गिरीश तिवारी “गिर्दा” द्वारा उत्तराखंड राज्य के संदर्भ में जो सपने देखे गए थे वह आज भी अधूरे हैं वक्ताओं ने कहा कि राज्य बनने के 24 सालों के बाद भी उत्तराखंड का विकास आज भी अपेक्षित है पहाड़ी क्षेत्र में रिकॉर्ड स्तर पर पलायन हो गया है.
वक्ताओं ने कहा कि “गिर्दा” के गीत संघर्ष की प्रेरणा देते रहेंगे.इस अवसर पर उत्तराखंड लोक वाहिनी के वरिष्ठ नेता जगत रौतेला ने कहा की 1972 से लेकर अपने सम्पूर्ण जीवन काल में गिरीश तिवारी “गिर्दा “हर जन आंदोलन को अपने गीतों के माध्यम से धार प्रदान करते रहे.संचालन करते हुए दया कृष्ण कांडपाल ने कहा की गिरीश तिवारी कोई कागजी कवि या गीतकार नहीं थे ,बल्कि उनके जो भी गीत प्रसिद्ध हुए वह सड़कों में जन आंदोलन में रचित हुए.इसलिए गिरीश तिवारी “गिर्दा” को जन कवि कहा जाता है.उन्होंने कहा कि उनके सपनों के अनुरूप उत्तराखंड राज्य बने इसकी कल्पना आज भी की जा रही है. ।
इस अवसर पर उत्तराखंड लोक वाहिनी के महासचिव पूरन तिवारी ने कहा कि गिरीश तिवारी “गिर्दा” व डा. शमशेर सिंह बिष्ट एक दूसरे के पूरक रहे. 22 सितम्बर को डा. शमशेर सिंह बिष्ट की पुण्य तिथि मनाई जायेगी जो उत्तराखण्ड के जन मुद्दे के लिये समर्पित रहेगी उन्होंने कहा कि वाहनी ने जिन मुद्दों को सड़को पर उठाया गिर्दा ने उन्हें अपने स्वरों के माध्यम से धार दी. श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता आशिस जोशी , संजय पाण्डे , रेवती बिष्ट , जंग बहादुर थापा, पूरन चंद्र तिवारी,बिशन जोशी,अजयमित्र सिंह बिष्ट, हरीश मुहम्मद, दिनेश भट्ट ,दयाकृष्ण कांडपाल आदि शामिल रहे.