आज दिनांक 19 जून, 2024 को गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में दो दिवसीय वैज्ञानिक सलाहकार समिति (SAC) की 32वी समीक्षा बैठक का शुभारंभ हुआ. यह बैठक प्रतिवर्ष संस्थान द्वारा वर्षभर किये गए शोध एवं विकास गतिविधियों की समीक्षा हेतु आयोजित की जाती है।
बैठक के प्रथम दिन अपने स्वागत उद्बोधन में संस्थान के निदेशक डा० सुनील नौटियाल ने उपस्थित वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष, समिति के विषयगत विशेषज्ञों, पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिकों, का स्वागत किया. निदेशक महोदय के द्वारा वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सभी सदस्यों का पुष्प गुच्छ, शाल तथा कुमाऊँ की परंपरागत टोपी भेंट कर सम्मानित किया गया. अपने अध्यक्षीय संबोधन में वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो० डी०एस० रावत, कुलपति, कुमाऊँ विश्विद्यालय, नैनीताल तथा प्रोफेसर, रसायन विज्ञान, दिल्ली विश्वविद्यालय ने वन, पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मन्त्रालय, भारत सरकार, पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल सहित वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सभी विषयगत विशेषज्ञों तथा संस्थान के सभी वैज्ञानिकों का धन्यवाद किया।
उन्होंने विगत वर्षों के दौरान संस्थान द्वारा किये गए कार्यो की भरपूर सराहना की। इसके लिए उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों को बधाई दी. उन्होंने हिमालयी क्षेत्र के प्रमुख मुद्दों पर गहन विचार विमर्श कर हिमालय के विकास और उन्नति के लिए भविष्य के लक्ष्य निर्धारित करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि संस्थान के पास हिमालयी क्षेत्र के विकास हेतु एक विस्तृत दृष्टिकोण है जो हिमालय क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी बात है. प्रो० रावत ने जल, जमीन के प्रबंधन, दुर्लभ लुप्तप्राय पादप प्रजातियों तथा औषधीय पौधों के संरक्षण को विशेष महत्त्व दिया तथा इन मुद्दों को अति महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने आयुर्वेद तथा चीन के पौधों पर आधारित ज्ञान को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया. वर्तमान में हिमालयी क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं पर बात करते हुए उन्होंने दो प्रमुख समस्याओं भूस्खलन तथा वनाग्नि पर अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि इनके बेहतर समाधान के लिए नयी रणनीति बनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने पिछले वर्षों में लगातार हो रहे तापमान वृद्धि तथा जलवायु परिवर्तन परिवर्तन पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन अनुकूलन तथा लचीलेपन की दिशा में कार्य करने की जरूरत है. इसके पश्चात संस्थान के निदेशक डा० सुनील नौटियाल ने उपस्थित वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष, सदस्यों, पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिकों के समक्ष संस्थान के मुख्यालय तथा क्षेत्रीय केन्द्रों द्वारा किये जा रहे शोध एवं विकास सम्बंधित कार्यों पर एक पॉवर पॉइंट प्रस्तुतीकरण दिया. इसमें उन्होंने संस्थान के व्यापक उदेश्यों, विषयगत केन्द्रों, अनुसंधान और विकास की प्राथमिकताओं, विकासात्मक विकल्पों, कार्यक्रमों तथा संस्थान की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया. इसके पश्चात विगत वर्ष की वैज्ञानिक सलाहकार समिति द्वारा दिए गए सुझावों पर कार्रवाई रिपोर्ट का आंकलन वैज्ञानिक सलाहकार समिति द्वारा किया गया. इसके पश्चात संस्थान के चारों केन्द्राध्यक्षों तथा क्षेत्रीय केन्द्रों के प्रमुखों तथा केंद्र से सम्बद्ध वैज्ञानिकों संस्थान द्वारा पिछले कुछ वर्षों से चलाये जा रहे परिवर्तनकारी परियोजनाओं के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में किये जा रहे शोध एवं विकासात्मक कार्यो को पावर प्वाइंट स्लाईड शो के माध्यम से विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया तथा विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों पर किये गये शोध कार्यो से सबको रूबरू कराया।
जिसमें हिमालय में जल स्थिरता का मानचित्रीकरण, आजीविका वृद्धि के लिए प्रोद्योगिकी हस्तान्तरण के माध्यम से मॉडल गॉंवों का विकास, वन संपदा के संवर्धन एवं संरक्षण, संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण, संवर्धन एवं विकास के लिए जैव विविधता डेटाबेस तथा पर्यावरणीय सॉंस्कृतिक आजीविका को बढ़ाने जैसे विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी तथा अपने अध्ययन से निकले निष्कर्षो को प्रस्तुत किया। संस्थान के शोध एवं विकास कार्यो की प्रगति की समीक्षा करते हुए वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो० डी०एस० रावत एवं सभी विषयगत विशेषज्ञों ने संस्थान द्वारा किये गये कार्यो की सराहना की।
सलाकार समिति के विषयगत विशेषज्ञों ने भविष्य के शोध कार्यों हेतु विभिन्न सुझाव दिए जिनमें कि शोध कार्यों के निष्कर्षों को नीतिगत दस्तावेजीकरण हेतु अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग में लाने, प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण एवं पुनरुत्थान हेतु कार्य करने, प्रभावी तरीके से हिमालयी जन समुदाय के कौशल वृद्धि, क्षमता निर्माण एवं उद्यमिता विकास हेतु कार्य करने, जलवायु परिवर्तन जोखिम हेतु एक वल्नेरेबिलिटी मानचित्रण तैयार करने तथा इसके प्रभावों को कम करने हेतु अनुकूलन विधियों को तैयार करने की आवश्कता आदि थे. साथ ही सदस्यों द्वारा हिमालयी क्षेत्र की कृषि जैव विविधता, अतिक्रमणकारी पादपों तथा लोगों की आय बढ़ाने हेतु विभिन्न सुझाव दिए. इसके साथ ही स्थानिक एवं संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण एवं जागरूकता अभियान चलाने हेतु कार्य करने का बहुमूल्य सुझाव दिया गया ।
प्रस्तुतिकरणों के पश्चात वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में समिति के अध्यक्ष प्रो० डी०एस० रावत तथा अन्य सभी विषयगत विशेषज्ञों द्वारा संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट का अनुमोदन किया गया. बैठक के प्रथम दिन का समापन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक ई० किरीट कुमार के धन्यवाद प्रस्ताव से हुआ. वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में समिति के अध्यक्ष प्रो० डी०एस० रावत, कुलपति, कुमाऊँ विश्विद्यालय, नैनीताल तथा प्रोफेसर, रसायन विज्ञान, दिल्ली विश्वविद्यालय, समिति के विषयगत विशेषज्ञ डा० एस०पी० अग्रवाल, निदेशक, नार्थ ईस्ट स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, डिपार्टमेंट ऑफ़ स्पेस, भारत, सरकार, मेघालय, प्रो० अनिल के० गुप्ता, डिवीज़न हेड, इंटरनेशनल एंड नेशनल कोऑपरेशन, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डिसास्टर मैनेजमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स, भारत सरकार, नई दिल्ली, प्रो० आर० उमा शंकर, हेड, बायोसाइंस एंड बायो इंजीनीयरिंग, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, जम्मू जगती, जम्मू एंड कश्मीर, डा० पूर्वजा रामचंद्रन, निदेशक, नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट, चेन्नई, तमिलनाडु, डा० ललित शर्मा, वैज्ञानिक-ई जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया, कोलकाता, पश्चिमी बंगाल तथा डा० सुसान जॉर्ज के०, साइंटिस्ट इंचार्ज, माउंटेन डिवीज़न उपस्थित थे. पर्यावरण संस्थान की ओर से वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य डा० आई०डी० भट्ट, वैज्ञानिक-जी, डा० संदीपन मुखर्जी, वैज्ञानिक- ई तथा डा० सिवरनजिनी एस०, वैज्ञानिक- सी समीक्षा बैठक में उपस्थित थे।
बैठक में संस्थान के केंद्र प्रमुखों ई० किरीट कुमार, डा० जे०सी० कुनियाल, डा० आई०डी० भट्ट, सहित संस्थान के मुख्यालय एवं क्षेत्रीय केन्द्रों के समस्त वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों द्वारा ऑनलाइन एवं ऑफलाइन मोड से प्रतिभाग किया गया. वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक के क्रम में कल दूसरे दिन दिनांक 20 जून, 2024 को पैन-हिमालय में संस्थान के तीन प्रमुख उद्देश्यों के अंतर्गत संबंधित केंद्रों के तहत नई अनुसंधान एवं विकास पहल पर संकल्पना प्रस्ताव तथा प्रस्तावित नए शोध कार्यों तथा कार्यक्रमों हतु प्राथमिकताएँ निर्धारित करने पर विषयगत केंद्र के प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुतीकरण तथा विचार विमर्श किया जाएगा.