-श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय, पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश के गणित विभाग के द्वारा गणित के विकास में भारत का योगदान विषय पर सेमीनार आयोजित किया गया| सेमिनार के उद्घाटन सत्र में गणित विभागाध्यक्ष एवं सेमिनार की संयोजक प्रो अनीता तोमर ने सभी का स्वागत करते हुए रामानुजन के जीवन परिचय एवं उनके योगदान पर विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि रामानुजन की जीवन कहानी किसी व्यक्ति की जन्मजात प्रतिभा, दृढ़ता और सामाजिक बाधाओं को पार करने की क्षमता का प्रमाण है। गणित में उनका योगदान अद्वितीय है और उनकी विरासत दुनिया भर के विद्वानों और उत्साही लोगों को प्रेरित करती रहती है।
रामानुजन का प्रारंभिक जीवन संख्याओं के प्रति एक असामान्य आकर्षण से चिह्नित था। एक साधारण ब्राह्मण परिवार में पले-बढ़े युवा रामानुजन ने अपनी उम्र से कहीं अधिक गणितीय अवधारणाओं को समझने की असाधारण क्षमता प्रदर्शित की।
संख्याओं के प्रति उनका आकर्षण उनके प्राथमिक विद्यालय के वर्षों में भी स्पष्ट था, जहाँ वे अक्सर जटिल गणितीय समस्याओं को आसानी से हल कर देते थे, जिससे उनके शिक्षक आश्चर्यचकित हो जाते थे। उन्होंने क्लासिक गणितीय ग्रंथों के कार्यों की खोज की और अपने स्वयं के अनुमान और खोजें कीं।
प्रोफेसर तोमर ने श्रीनिवास रामानुजन के प्रसिद्ध कथन “समीकरण मेरे लिए कुछ नहीं है, जब तक यह भगवान के विचार को नहीं व्यक्त करता है”(“An equation means nothing to me unless it expresses a thought of God”), के साथ शुरुआत की।
उन्होंने कहा कि गणित सिर्फ एक विषय नहीं है; यह हमें यूनिवर्स को नियंत्रित करने वाले पैटर्न और संरचनाओं को समझने में मदद करने वाली भाषा है। सबसे छोटे कणों से लेकर ब्रह्मांड के विशाल स्थान तक, गणित हमारी दुनिया के रहस्यों को खोलने का कुंजी है।
चाहे आप मौलिक अध्ययन कर रहे हैं या ज्ञान की सीमाओं को बढ़ाने में एक अनुभवी गणितज्ञ हैं, आज हमें गणित के महत्व को स्वीकृत करने का एक दिन है। गणित, समीकरणों, प्रमाणों और तर्क की अनगिनत सुंदर संभावनाओं को समझने की भाषा है। इस शानदार विषय ने हमें विश्व की रहस्यमयी संरचनाओं को खोलने का कुंजी दी है।
इस संदर्भ में, हम भारत के महान गणितज्ञों को याद करते हैं, जिन्होंने अपने योगदान से हमारे जीवन को सर्वांगीण रूप से समृद्धि देने में मदद की है। हम भारतीय गणितज्ञों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने अपने अद्वितीय योगदान से गणित को हमारे जीवन में अद्वितीय रूप से स्थान दिलाया है। उनकी सार्थक योजनाओं ने हमें विज्ञान और गणित के क्षेत्र में नई सीमाएं प्रदान की हैं।
इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य है भारतीय गणित के योगदान को साझा करना और नए आयामों की ओर प्रगामीता को बढ़ावा देना है।सेमिनार की मुख्य वक्ता रोमानिया रोमानिया के बेबेस-बोलयाई विश्वविद्यालय से प्रो लिलियाना गुरान ने गणित के विभिन्न अनुप्रयोगों पर आभासीय माध्यम से व्याख्यान दिया।
उन्होंने क्रिप्टोग्राफी और कोडिंग थ्योरी के सन्दर्भ में विस्तार से चर्चा की उन्होंने बताया कि मौसम पूर्वानुमान में गणितीय मॉडलिंग का विशेष योगदान है| व्यक्तित्व मूल्यांकन में गोल्डन रेशियो का विशेष सम्बन्ध है| अल्ट्रासाउंड, रेडियोलोजी आदि मेडिकल तकनीकि में गणित अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रारम्भ काल से ही मनुष्य और गणित का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है| सेमीनार के आयोजक सचिव गणित विभाग के डॉ गौरव वार्ष्णेय ने सेमिनार की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए भारत में गणित के विकास की जानकारी दी| मनुष्य ने अपनी प्रकृति को समझते हुए गणित का विकास किया और अपने दैनिक जीवन की समस्याओं को हल करने में गणित का उपयोग किया ।
भारत में गणित की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता के समय हुई थी। इस अवधि में, भारतीयों ने संख्याओं के लिए एक प्रणाली विकसित की थी जो दशमलव प्रणाली पर आधारित थी। उन्होंने ज्यामिति और त्रिकोणमिति के मूल सिद्धांतों को भी विकसित किया। बारहवीं शताब्दी में भारत गणित के क्षेत्र में विश्व का ज्ञान गुरु था| महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, महावीर, भाष्कर , श्रीनिवास रामानुजन द्वारा की गयी महान देन को कभी नहीं भुलाया जा सकता सह आयोजक सचिव गणित विभाग की डॉ शिवांगी उपाध्याय ने सेमीनार का संचालन करते हुए सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त किया उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में गणित के अंतर्गत किये जा रहे शोध कार्यों की जानकारी देते हुए भारतीय गणितज्ञों के योगदान के विषय में बताया सेमीनार में शोधार्थी शिवानी रावत ने आर्यभट्ट, सजल पाल ने ब्रह्मगुप्त, मोनिका ने भाष्कराचार्य, नितिन गुप्ता ने श्रीनिवास रामानुजन, मनीष मेहरा एवं लकी शर्मा ने शकुंतला देवी, साक्षी ने पी सी महालनोबिस, हर्षिता अग्रवाल ने रमन परमल आदि भारतीय गणितज्ञों के योगदान पर प्रेजेंटेशन दिया| श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. एन.के. जोशी ने गणित विभाग को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि गणित सप्ताह महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की याद में मनाया गया था, जो प्रो. तोमर की विषय में प्रतिबद्धता का प्रतीक था । कैम्पस निदेशक प्रो. एम.एस. रावत , विज्ञान संकाय के डीन प्रो. जी. एस. ढींगरा, कॉमर्स संकाय के डीन, प्रो. कंचन लता सिन्हा, ने भी प्रो. अनीता तोमर की निरंतर प्रयासों की प्रशंसा की।