( सम्मान सहित जीवन यापन करना महिलाओं का आधार है। सुनीता पांडेय)
“गरिमामय जीवन, महिला अधिकार” विषय पर आज दिनांक 8मार्च 2025को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का गोष्टी कार्यक्रम का आयोजन नगर निगम सभागार में अयोजित हुआ। सम्मेलन मै बतौर मुख्य अतिथि ख़गमरा वार्ड की नव निर्वाचित पार्षद श्रीमती मधु बिष्ट, अध्यक्षता जनवादी महिला समिति की राज्य अध्यक्ष सुनीता पाण्डे,, महिला समिति अल्मोड़ा की सचिव सुश्री मंजू पंत, आशा फेसिलेटर ममता वर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता , पी एल वी आशा भारती, मंचासीन रही।
कार्यक्रम में बोलते हुए वक्ताओं ने कहा की समाज में सम्मानजनक ज़िंदगी महिला का अधिकार है, जिसके लिए भूख, ग़रीबी , मंहगाई बेरोज़गारी ,हिंसा से मुक्ति पाखंड और अंधविश्वास से मुक्ति* विशेष रूप से जरूरी है।
आज पंचायत और स्थानीय निकायों की तरह संसद और विधान सभा में महिला आरक्षण बिल लागू न कर पाना सत्ता की महिला विरोधी नीति को दिखाता है। वर्तमान बजट मे भी जेंडर बजट और सार्वजनिक क्षेत्र मे बजट कटौती आम जनता और महिला विरोधी है।तब से अब तक पूरी दुनिया में महिलाओं ने तमाम लड़ाइयां लड़ीं भी और जीतीं भी.. इन्हीं लड़ाइयों के कारण औरतों को कुछ हद तक एक इंसान और एक नागरिक के रूप में पहचाना भी गया।
किंतु यह लड़ाई आज भी जारी है …
किन्तु सही मायने में महिलाएं एक सम्मानजनक जीवन का हक़ पाने की लड़ाई आज भी लड़ रहीं हैं ।
भूख , ग़रीबी , मंहगाई और बेरोज़गारी ने महिलाओं की कमर तोड़ दी है वहीं हिंसा की वीभत्स घटनाओं ने उन्हें घर बाहर हर जगह असुरक्षित कर दिया है । उपभोक्तावादी संस्कृति ने औरत को भी एक “चीज़” के रूप में बदल दिया है । आये दिन अपनी बहन बेटियों पर बर्बर हिंसा की घटनाओं को लेकर हम खौफ में रहते हैं ।आज की सबसे भयानक तस्वीर है कि अपराधियों को भी उनकी जाति मज़हब और उनके राजनैतिक पक्ष के मुताबिक देखा जाता है । बलात्कार के अपराधी सज़ायाफ्ता बाबाओं का पैरोल पर जेल से बाहर आकर चुनाव प्रचार करना या प्रवचन करना जैसे एक आम बात होती जा रही है । एक ओर नई टेक्नोलॉजी से विकास के मापदंड तय हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर पाखंड और अंधविश्वास के दल-दल में महिलाओं को धकेलने की साजिश हो रही है । आजकल पाखंडी बाबाओं का धंधा खूब फल-फूल रहा है जिनकी सबसे आसान शिकार महिलाएं हैं जिन्हें भ्रमित कर उनकी बुनियादी मुद्दों की असली लड़ाई को ये बाबा कमज़ोर कर रहे हैं ।धार्मिक आस्था हर व्यक्ति का अपना व्यक्तिगत अधिकार का इस्तेमाल राजनैतिक लाभ लेकर भीड़ तंत्र की की राजनीति को जन्म मिला है। उत्तराखंड में लागू यूसीसी कानून जिसे महिला हितैषी बताया गया है जबकि वह महिला के व्यक्तिगत स्वतंत्रता को खत्म कर उसकी निजता पर हमला है, आदिवासी समाज , सम लेगिंग वर्ग को भी इससे दूर रखा गया है। जिसे से खारिज़ किया जाना जरूरी है।
