सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को अब सॉलिड फूड व अन्य जरूरी सामग्री मिल पाएगी। उम्मीद है कि मंगलवार से दस दिन बाद सुरंग में फंसे श्रमिकों को सोया बड़ी, मटर युक्त मूंग की दाल की खिचड़ी और केला खाने को मिलेगा।वहीं, सोमवार को एक वीडियो भी सामने आया, जिसमें मजदूरों के लिए खिचड़ी बोतलों में भरी जा रही हैं। सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए सोमवार रात 24 बोतल भर कर खिचड़ी भेजी गई। नौ दिनों के बाद आज पहली बार मजदूरों को पका हुआ भोजन मिला। छह इंच चौड़ी पाइप आरपार होने के बाद प्लास्टिक की बोतलों में भरकर खाना भेजा गया।

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पहले प्रयास में कठोर चट्टान से टकराई पाइप

छ: इंच मोटे पाइप को डालने के लिए एनएच आईडीसीएल तीन बार प्रयास किए हैं। तीसरा प्रयास सफल रहा है। श्रमिकों तक लाइफ लाइन बनाने का कार्य पिछले 5 दिनों से चल रहा था। पहला प्रयास में पाइप केवल 33 मीटर तक ही सुरंग में भूस्खलन के मलबे में डाला और किसी कठोर चट्टान या मेटल से टकराया।

फिर रेस्क्यू टीम ने पाइप का एलाइनमेंट बदला और दूसरा पाइप भूस्खलन के मलबे के बीच डालना शुरू किया, लेकिन रविवार की रात को 57 मीटर पाइप मलबे में ड्रिल हुआ, जो सुरंग के तल के बजाय सुरंग की छत की छत की ओर बढ़ा।

सोमवार सुबह मिली तीसरी सफलता सोमवार सुबह तीसरा प्रयास हुआ। इस प्रयास को सफलता मिली। सुरंग की दूसरी ओर फंसे श्रमिकों तक पाइप पहुंचा तो श्रमिक खुश हुए और चार इंच के पाइप के जरिए खोज बचाव टीम को लाइफ सपोर्ट पाइप के पहुंचने की सूचना दी। सोमवार की देर रात तक 57 मीटर लंबे इस पाई की सफाई की गई, जिससे श्रमिकों तक स्वच्छ भोजन भेजा जा सके।

श्रमिकों के स्वास्थ्य का हालचाल पूछने वाले जनरल फिजिशियन डॉ. प्रेम पोखरियाल ने कहा कि छह इंच मोटे पाइप के जरिये श्रमिकों तक सॉलि़ड फूड, फल और अन्य जरूरी वस्तुएं भी भेजी जा सकेंगी। खोज बचाव व रसद भेजने वाली टीम को उन्होंने सलाह दी कि मंगलवार को जब श्रमिकों को पाइप के जरिये भोजन भेजा जाए तो मूंग दाल की खिचड़ी भेजी जाए, जिसमें सोया बड़ी और मटर शामिल हों। इसके अलावा फल में केला भेजने की भी सलाह दी गई

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