(हम चाहे, पहाड़ी क्षेत्रों से हो, या मैदान से, या दक्षिण क्षेत्र से महिला और महिलाओं की समस्या एक है। पी के श्रीमती राष्ट्रीय अध्यक्ष)
जनवादी महिला समिति का आठवां राज्य सम्मेलन देहरादून हुआ ।तीन सदस्यीय अध्यक्ष मण्डल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुवे सम्मेलन के अध्यक्ष मण्डल में सुनीतापाण्डेय इन्दुनौडियाल
,मालागुरूंग शामिल रही ।सम्मेलनकीराजनैतिक ,सांगठनिक तथा कार्य रिपोर्ट महामंत्री दमयंती नेगी ने रखी जिसपर विभिन्न जनपदों से आये प्रतिनिधियों ने चर्चा की ।
सम्मेलन में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुऐ समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष पी के श्रीमती ने कहा है कि हम चाहे पहाड़ से हो या मैदान से या फिर दक्षिण से हम सब एक हैं ,उन्होंने कहा कि जनवादी महिला समिति का गठन सन् 1981 में हैं तबसे हम निरंतर संघर्षरत हैं ,उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश से अलग होने के बावजूद उत्तराखण्ड का विकास नहीं हो पाया जो कि चिन्ता का बिषय है ,हाल ही में राज्य में आपदा के कारण हुए नुकसान के चलते आम आदमी काफी दुखी है क्योंकि सरकार ने जनता की समुचित मदद करनी थी वह नहीं कर रही है ।उन्होंने कहा आज भी महिलाएं विकास के सबसे निचले पायदान पर हैं,केरल में महिलाओं की स्थिति देश में सबसे बेहतर है कारण वहां की सरकार निरन्तर महिलाओं के कल्याण का कार्य कर रही जबकि पूरे देश में
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जगमती सांगवान ने कहा कि उत्तराखंड राज्य उत्तर प्रदेश से अलग होने के बावजूद बहुत पिछड़ा है विकास में हाल ही में आपदा में बहुत नुकसान हुआ है जिन परिवारों ने अपने लोगों को खोया है हमारी संवेदनाएं उनके साथ हैं हम महिलाएं विकास के सबसे निश्चय शिर्डी पर हैं हमारे देश का संविधान बहुत महत्वपूर्ण है केरल में महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक है आजादी के बाद आज भी महिलाओं की स्थिति खराब है 76 साल बाद भी भारतीय महिलाओं को आज भी बराबरी के हक नहीं मिले हैं हालांकि यहां पर समानता का दावा किया जाता है महिलाओं को ले जाने के लिए बीजेपी ने 33% आरक्षण दिया है जो एक खेल है जिसे लागू नहीं किया जा रहा है 57% पंचायत में महिला प्रतिनिधियों की संख्या है हमारे राज्य में चीनी हुई महिलाएं बड़ी संख्या में हमारे सम्मेलनों में होती हैं इसलिए संभव हुआ है कि वहां वामपंथी सरकार है इसलिए आरक्षण से अधिक महिलाएं चुनकर आई हैं महिलाएं 18 घंटे काम करती हैं घरेलू महिलाएं सुबह जल्दी उठती हैं और रात में देर से सोती हैं वामपंथी सरकार ने ग्रहणियों के लिए ₹1000 पेंशन का प्रावधान किया है और घर से बाहर भी हिंसा होती है वर्तमान बीजेपी सरकार मातृशक्ति का नारा देती है जबकि 4000 स्कूल यहां पर बंद कर दिए गए हैं जिनका सीधा असर बेटियों पर पड़ता है पलायन के बारे मे इन महिलाओं को मुकाबला करना होगा डबल इंजन की सरकार बोलना ही लोकतंत्र विरोधी है सरकार चाहती है कि हम चुप रहे क्योंकि थोड़ा लाइव छोड़ो क्या हम चुप्पी तोड़ने के लिए तैयार हैं महिला समिति के हम सब एक हैं बजरंग दल रस आदि महिलाओं पर हमला कर रहे हैं केरल में 60000 सदस्यता है 14 जिले में संगठन है इस सम्मेलन को हमें अवसर की तरह लेते हुए हर मोहल्ले की महिलाओं की पीड़ा को अपनी पीड़ा बनाएंगे
सम्मेलन में देहरादून, चमोली, अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी के 100से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में महिलाओं पर बढ़ती हिंसा, बस्ती बचाओ, एलिवेटेड रोड परियोजना वापस लेने, आपदा त्रासदी, छुटे हुए राज्यं दोलनकारियों के चिन्हीकरण, एम एफ आई पर प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए, शोक संदेश दिया गया, सांगठनिक सत्र पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पर्यवेक्षक जगमति सांगवान ने संगठन को मजबूत बनाने के लिए जन संघर्षों को तेज करने पर बल दिया, करीब 20प्रतिनिधियों ने रिपोर्ट पर चर्चा कर बहुमूल्य सुझाव दिए। सम्मेलन में 17 सदस्यीय नई कमेटी का गठन किया गया, जिसमें राज्य अध्यक्ष सुनीता पाण्डे, राज्य महामंत्री दमयंती नेगी, उपाध्यक्ष इन्दु नौडियाल ,राज्य कोषाध्यक्ष माला गुरूंग, सह सचिव गीता बिष्ट सर्व सम्मति से पदाधिकारी चुने गए। हैदराबाद में जनवरी में आयोजित अखिल भारतीय सम्मेलन के लिए ऑब्जर्वर समेत 4 लोगों का प्रतिनिधि मंडल चुना गया।




















