हाईकोर्ट ने राज्य में अवैध रूप से आ रहे प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य की सीमाओं पर राज्यकर और पुलिस चौकियों पर कड़ी नाकाबंदी करने तथा प्रतिबंधित प्लास्टिक की थैली के प्रवेश को रोकने के निर्देश दिए हैं।मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
🔹शहरी विकास सचिव को कोर्ट में पेश होना होगा
कोर्ट ने राज्य में अजैविक कचरे के निस्तारण के लिए सरकार को नियमावली बनाने के लिए कहा है। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि कूड़ा वाहनों में एक माह में जीपीएस की कार्यवाही पूरी की जाए और बायोमेट्रिक की व्यवस्था लागू हो। कोर्ट ने कहा कि यदि वन पंचायत के नक्शे एक माह में अपलोड नहीं हुए तो सचिव वन व्यक्तिगत रूप से कोर्ट मे पेश होंगे। यह भी कहा कि अगर छह सप्ताह में डीआरएस प्रणाली और पैकेजिंग वापसी पर धनराशि देने वाली व्यवस्था लागू नहीं हुई तो शहरी विकास सचिव को कोर्ट में पेश होना होगा।
याचिकाकर्ता जितेंद्र यादव ने जनहित याचिका में कहा कि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के आधार पर पूर्व में मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट ने 7 जुलाई 2022 से लगातार इसके खिलाफ निर्देश देते हुए प्लास्टिक निर्माताओं को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पंजीकरण कराने और राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में एक्शन प्लान पेश करना अनिवार्य किया था। दिसंबर 2022 में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कंप्लायंस कर आदेश पारित कर प्लास्टिक से संबंधित फैक्टरियों की सहमति वापस कर दी थी।