(कई पेय जल योजनाये हो रही है प्रभावित,3 वर्ष पहले भी गरमपानी खैरना झेल चुका है आपदा की मार,बाजार के लोगो द्वारा मलवे को नदी से हटा कर डम्पिंग जोन में डालने के निर्देश पर कोई सुध लेवा नहीं , अब भी न चेते तो माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका प्रस्तुत करेंगें)
गरमपानी– भवाली अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग के झूला पुल के पास इन दिनों मार्ग को ठीक करने हेतु रात्रि 8 से सुबह 6 बजे तक पहाड़ी के कटान का कार्य किया जा रहा है।
जिसमे कटान के दौरान पहाड़ी से निकले मलवे तथा बोल्डरों को बिना किसी आज्ञा के बाजार के पीछे बह रही आध्यात्मिक क्षेत्र से जुड़ी उत्तर वाहिनी शिप्रा नदी के ,( जो अनेक संतों की साधना स्थल रही है) में डाला जा रहा है। जिसके चलते झूला पुल के पास शिप्रा नदी का प्रवाह लगभग बन्द हो गया है।
तथा नदी में गिर रहे मलवे तथा बोल्डरों के डम्पिंग जॉन ना होने के चलते अब बाजार के ऊपर बरसात के समय आपदा का खतरा मंडराने लग गया है। जिससे कार्य दायी संस्था द्वारा गरमपानी खैरना बाजार पर आपदा का आमंत्रण दिया जा रहा है।
वही शिप्रा नदी के प्रवाह के रुकने के कारण बाजार में चल रही कि महत्वपूर्ण पेय जल पम्पिंग योजना पर भी अब खतरा मँडराने लग गया है। जिससे अब इस भारी गर्मियों में लोगो को पानी ना होने के चलते पेरशानी का सामना पड़ सकता है।,
वही गरमपानी के लोगों ने बताया कि विभाग द्वारा बिना किसी रोक टोक के झूला पुल का सारा मलवा शिप्रा नदी में डाल जा रहा है जिससे आने वाले बरसात के समय एक बड़ा हादसा हो सकता है। क्षेत्रवासियों ने कहा कि अभी 3 वर्ष पहले मलवे के ढेरों की वजह से गरमपानी खैरना ने भारी आपदा झेली हुवी है, जिसमे 100 से अधिक लोगो के भवनों को भारी नुकसान पहुँचा तथा जिसे अब विभाग तथा कार्यदायी संस्था द्वारा दोहराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने मलवे को नदी से हटाने की मांग की है।
इस दौरन नीरज जलाल, मोहित सिंह, रोहित सिंह, विजय गोस्वामी, योगेश सिंह, नारायण सिंह इत्यादि लोगो ने मलवे को हटाने की मांग की है। लेकिन प्रशासन व कार्यदायी संस्था चुप्पी साधे बैठी है। नदी व जल संरक्षण के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इस मामले में राष्ट्रीय मार्ग के सहायक अभियंता रमेश पांडे का कहना हैमलवे को निर्धारित छड़ा के पास डम्पिंग जोन में डालने के निर्देश दिए गए है। लेकिन कार्य के दौरान अधिक ऊंचाई से आ रहे मलवे को रोका नही जा पा रहा है। जिससे शिप्रा नदी में मलवा गिर रहा है। ।क्या कारण चुप्पी क्यों है? आखिरकार चुप्पी कब टूटेगी।
किस बात का इंतजार है, बहुत सारे जनता के प्रश्न है ,जो अनुत्तरित है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि समय रहते समाधान न हुआ तो माननीय उच्च न्यायालय में जन हित याचिका प्रस्तुत करने के अलावा कोई विकल्प न होगा।