सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में स्थापित किए गए स्वामी विवेकानंद-महात्मा गांधी आध्यात्मिक परिपथ, अध्ययन केंद्र का पहला व्याख्यान आज गणित विभाग के सभागार में हुआ। इस प्रेरक व्याख्यान में रामकृष्ण कुटीर के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद महाराज, मुख्य अतिथि प्रो जगत सिंह बिष्ट (पूर्व कुलपति, ऐसेसजीना विश्वविद्यालय), प्रो शेखर जोशी (अधिष्ठाता छात्र कल्याण), डॉ दीपक (कुलानुशासक), कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो विद्याधर सिंह नेगी, अर्पण महाराज,डॉ चंद्र प्रकाश फुलोरिया (संयोजक) आदि ने महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानन्द, सरस्वती चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित करने के साथ पुष्पार्पण किया।

संयोजक डॉ चन्द्र प्रकाश फुलोरिया ने अतिथियों से परिचय कराते हुए कार्यक्रम की पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि माननीय कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट द्वारा रामकृष्ण कुटीर के सहयोग से खोले गए आध्यात्मिक केंद्र की शुरुवात हो गयी है। डॉ ललित जोशी ने अध्ययन केंद्र के भाविक योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रो शेखर चन्द्र जोशी ने अतिथियों का स्वागत किया।

विशिष्ट अतिथि स्वामी अर्पण महाराज ने कहा कि जीवन के सर्वोत्तम लक्ष्य पर कैसा पहुंचा जाए? इसके लिए महात्माओं के संदेश उपयोगी हैं। जिनके संदेशों को जीवन में क्रियान्वित करें। उन्होंने कहा कि सत्य बोलो, सच ताकत दिलाता है। संकीर्ण विचारों का त्याग करें। दूसरों की हमेशा सहायता करें। प्रार्थना करें।

इससे आपका जीवन आनन्दमय होगा। स्वामी ध्रुवेशानंद महाराज ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी अपने ध्येय से हटें नहीं। कठिनाइयों का सामना करें। जो बड़े लोव हुए हैं उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधी, अब्दुल कलाम, रवींद्रनाथ टैगोर आदि के जीवन के प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से युवाओं को जीवन में डटे रहने की सीख दी।

आत्मबल बढ़ाएं। सेवा भाव से कार्य करें। अपने में आत्मविश्वास लाएं। मुख्य अतिथि प्रो जगत सिंह बिष्ट ने अपने उद्बोधन में कहा कि अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित प्रथम प्रेरक व्याख्यान मेरे लिए खुशी का विषय है। व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए अपना आदर्श बनाना जरूरी है।विद्यार्थी अपने जीवन के विकास के लिए अपना आदर्श जरूर बनाएं। आगे बढ़ने के लिए महापुरुषों के जीवन दर्शन का अनुसरण करें।

उन्होंने आगे कहा कि यदि अपने समाज को उत्तम देना है तो अपने व्यक्तित्व का विकास करें। शिक्षा के संस्थान व्यक्तित्व विकास के लिए उत्तम स्थान हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने 1893 में शिकागो सम्मेलन में भागीदारी कर भारतीय संस्कृति की पताका को फहराया। वहीं गांधी जी के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। युवा पीढ़ी पथ से विचलित हो रहे हैं, भटकाव एवं मूल्यहीनता की कमी हो रही है, ऐसे में महापुरुषों के आदर्श मूल्यवान साबित हो सकते हैं। प्रो बिष्ट ने केंद्र के संबंध में कहा कि यह केंद्र इसी तरह बच्चों को प्रेरक जानकारी दे। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो विद्याधर सिंह नेगी ने कहा कि प्रथम प्रेरक व्याख्यान आपके जीवन के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

विद्यार्थी स्वामी विवेकानन्द-महात्मा गांधी आध्यात्मिक परिपथ, अध्ययन केंद्र एवं केंद्र के कार्यक्रम से जुड़ें। उन्होंने कहा कि ताड़ीखेत में रहे। आज भी वहां हथकरगा चलता है। महात्मा गांधी एवं स्वामी जी के चर्चित स्थल को प्रकाश में लाएं। पहला व्यख्यान इतिहास में जडेगा। विवेकानन्द एवं गांधी जी के स्थानों को चिन्हित कर सर्किट में लाकर होमस्टे को बढ़ावा दिया जाए, सरकार का सहयोग लें। ताकि स्थानियों की आर्थिकी मजबूत हो।

आज जो नींव डाली गई है वो भविष्य के लिए लाभदायी होगा। कार्यक्रम की सफलता के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सतपाल सिंह बिष्ट ने शुभकामनाएं प्रेषित। की। इस अवसर प्रो डॉ धनी आर्या (विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान), डॉ बलवंत कुमार, डॉ देवेंद्र सिंह बिष्ट (विकास एवं नियोजन अधिकारी), प्रो सोनू द्विवेदी (संकायाध्यक्ष, दृश्यकला संकाय), डॉ रिजवाना सिद्धिकी, डॉ पारुल सक्सेना, डॉ ममता पंत, डॉ प्रतिभा फुलोरिया, डॉ नीलम, डॉ नीता भारती, डॉ अंकिता, डॉ सरोज जोशी,डॉ कालीचरण यादव, डॉ लक्ष्मी वर्मा, डॉ मनोज कार्की, मंजरी तिवारी, डॉ ललन सिंह, हेमलता अवस्थी,शंकर बिष्ट, के. पाठक, शेर सिंह बघरी, भानु भट्ट आदि सहित कला एवं शिक्षा संकाय के विद्यार्थी शामिल रहे।

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