अल्मोड़ा उत्तराखण्ड परिर्वतन पार्टी ने प्रदेश सरकार से ऊधमसिंह नगर में 6 श्रमिक नेताओं को गुण्डा घोषित करने के खिलाफ पुलिस प्रशासन द्वारा शुरु की गयी गुण्डा एक्ट की कार्यवाही को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
उपपा के केन्द्रीय अध्यक्ष पी०सी० तिवारी ने यहाँ कहा कि राज्य के औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल में पूजीपतियों, पुलिस प्रशासन व श्रम विभाग के नापाक गठजोड़ के चलते जनता में भारी असंतोष पनप रहा है। जिसका तत्काल निराकरण आवश्यक हैं।उपपा अध्यक्ष तिवारी ने कहा कि श्रमिक मजूदर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के नेतृत्व में श्रम कानूनों को सही ढंग से लागू करने, मजदूरों के दमन, उत्पीड़न व महिला श्रमिकों के साथ हो रही अभद्रता का विरोध करते रहे है।
किन्तु सरकार एवं प्रशासन इन घटनाओं में दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने से बचता रहा है जबकि मजदूरों के पक्ष में आवाज उठानें वाले श्रमिक नेताओं कैलाश भट्ट, ललित कुमार, सोनू कुमार, वीरु सिंह, बबलू सिंह एवं राजेश सक्सेना को पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी गुण्डा घोषित कर जिला बदर करने का षडयंत्र कर रहे है जिसकी पार्टी घोर निंदा करती है।उपपा अध्यक्ष ने कहा कि देश का संविधान श्रमिकों व हर नागरिकों को शोषण उत्पीडन के खिलाफ सामूहिक रुप से आवाज उठाने का अधिकार देता है।
किन्तु पुलिस प्रशासन गैर कानूनी रुप से उनके आवाज कुचलने की कोशिश में है जिसे उत्तराखण्ड की जनता सफल नही होने देगी। उपपा ने मुख्यमंत्री पुष्कर जी धामी को याद दिलाया कि वे चुनाव से पहले प्रदेश में शसक्त भू कानून लागू करने तथा भू-माफियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की घोषणा कर रहे थे लेकिन उनकी घोषणाओं के बावजूद सार्वजनिक व सरकारी जमीनों पर काबिज गंभीर अपराधों में लिप्त भू-माफिओं के खिलाफ भी कोई कार्यवाही नही होती है।
जिसके चलते सरकार का असली चेहरा जनता के सामने आ गया है। परिर्वतन पार्टी ने कहा है कि यदि सरकार ने समय रहते इन स्थितियों में सुधार नही किया तो उसे राज्य के मजदूरों, किसानों व आम लोगों की ओर से कड़ा प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा।