( छंजर सभा अलमोडा़ में हुआ आयोजन, जाने माने साहित्यकार कार्यक्रम के अतिथि रहे)
तफज्जुल खान,सेवानिवृत अध्यापक द्वारा लिखित पुस्तक ‘मेरा आँगन उदास है ‘का लोकार्पण किया गया।*
सर्वप्रथम संचालक महोदय द्वारा सभी का औपचारिक परिचय देते हुए कहा ये लेखक की दूसरी पुस्तक है इससे पूर्व एक काव्य संग्रह ‘अनछुई परछाइयाँ ‘ उनके द्वारा प्रकाशित की गई है, साथ ही शक्ति समाचार पत्र में तफज्जुल खान की कविता प्रकाशित हो चुकी है।*
पुस्तक विमोचन के पश्चात् लेखक द्वारा अपनी विमोचित पुस्तक के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए पुस्तक से कुछ प्रमुख कविताओं, ग़ज़लों का पाठ किया. जिनमें कुछ संवेदनापूर्ण रचनाओं ने सभी को भावुक कर दिया
–‘न दिन रहे न रातें रहीं, न अलफ़ाज़ रहे न बातें रहीं
तुम क्या गए, मेरा वज़ूद भी गया…’
— ‘उस का जाना ”
इतनी हमदर्दी न रख के दिल भर आयेगा.
कोई पुराना सा जख्म फिर उभर आयेगा..’
— ‘ दिल भर आयेगा ”
गीत क्या लिखूं अलफ़ाज़ खफा हो गए,
तसव्वुर गुम है जज़्बात जाने क्या से क्या हो गए.. ‘ –
– ‘गीत क्या लिखूं ”
फिर कोई गीत लिखूं तुम अपनी आवाज़ दो.
दिल के तारों को छेड़ो अपने सुरीले साज़ दो.. ‘ —
‘अपनी आवाज़ दो”
अब और ज़्यादा याद न आ दिल दुःखता है
दिल के अरमान न जगा दिल दुःखता है…. ‘ —
‘दिल दुःखता है ”
उसको भूल जाऊं मुझमेँ हौसला नहीं
किसी को दर्द बताऊं मुझ में हौसला नहीं.. ‘ — ‘
मुझमेँ हौसला नहीं ”
अपने ही घर में हम तो पराये हो गए
धुंधले धुंधले से सारे साये हो गए… ‘
— ग़ज़ल
‘अब कहाँ ढूंढूं उस दिल को जो, जो
कभी मेरी आँखों का तारा रहा
ये तूफ़ान तिनकों सा उड़ा ले गया
वो डूब गया जो कभी किनारा रहा… ‘
–-ग़ज़ल श्रद्धेय
मुख्य अतिथि देव सिंह पोखरिया जी द्वारा पुस्तक की कुछ रचनाओं की विश्लेक्षणात्मक समीक्षा करते हुए उनके विषयगत एवं संवेदनशील पक्ष को प्रकाशित किया. पुस्तक में संकलित लगभग प्रत्येक रचना कवि के अन्तर्निहित अगाध व्यथा,वेदना से भरे भावों की अभिव्यक्ति है,उन्होंने चर्चा की कि व्यक्तिगत वेदना के भाव को समष्टि रूप में साझा करने हेतु बाहर आना भी आवश्यक होता है,इसी क्रम में लेखक की पूर्व पुस्तक ‘अनछुई परछाइयाँ ‘ के भी प्रमुख अंशों पर प्रकाश डालते हुए कुछ रचनाओं के विविध पक्षों को उजागर किया, उन्होंने साहित्य और विशेष रूप से काव्य पक्ष को परिष्कृत करने हेतु सभी को महत्वपूर्ण सुझाव व मार्गदर्शन दिया.अंत में लेखक की पुस्तक की सराहना करते हुए अभी और शेष रचनाओं को भी संकलित करते हुए अगली पुस्तक के प्रकाशन हेतु भी शुभकामनायें प्रेषित की।अध्यक्षीय सम्बोधन में श्रद्धेय त्रिभुवन गिरि महाराज द्वारा भी महत्वपूर्ण साहित्य चर्चा उन्होंने पुस्तक की भूमिका लिखी है अतः कवि की प्रत्येक रचना की वेदना को नजदीक से देखा समझा है उन्होंने कहा कि कवि की पीड़ा केवल उसके लिए नहीं वरन समग्र मानव जाति के लिए होती है।