हाल के दिनों में, ग्राहक टमाटर के दाम बढ़ने की दुहाई दे रहे हैं, क्योंकि बीते कुछ दिनों में ही टमाटर के रेट 35-40 रुपये किलो से बढ़कर 150-200 रुपये किलो तक पहुंच गए हैं। देश के कई हिस्सों में तो टमाटर के भाव 200-250 रुपये किलो पर बोले जा रहे हैं। टमाटर की कीमतों में इस तरह से आए उछाल ने लोगों को इसके पीछे के कारणों ने अचंभित कर दिया है।
आइए, यहां पर समझने की कोशिश करते हैं कि टमाटर की बढ़ती कीमतों में उछाल के लिए कौन जिम्मेदार हो सकते हैं?
मौसमी बदलाव और फसल की उपज
टमाटर की कीमतें मौसमी बदलाव और फसल की पैदावार में उतार-चढ़ाव से काफी प्रभावित हो रही हैं. मौसम की स्थिति अनुकूल नहीं होने पर उपज कम हो जाती है. साथ ही ज्यादा बारिश होने पर तो पूरी फसल ही चौपट होने का खतरा रहता है. यही नहीं तापमान भी अधिक होने पर टमाटर सूखने लगते हैं. जिसका उपज पर काफी असर होता है. ये कारक टमाटर की सप्लाई पर असर डालते हैं जिससे कीमतें बढ़ने लगती हैं।
ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन कॉस्ट
खेतों से मार्केट तक टमाटर का ट्रांसपोर्टेशन और डिस्ट्रीब्यूशन भी उनकी कीमतें तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ईंधन की कीमतों और ट्रांसपोर्टेशन लागत में वृद्धि सीधे खुदरा मूल्य को प्रभावित कर सकती है. इसके अलावा, अपर्याप्त बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, अनस्किल्ड लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन में गतिरोध से भी दाम में बढ़ोतरी हो सकती है।
डिमांड और कंजंप्शन पैटर्न में बदलाव
ग्राहक डिमांड और कंजंप्शन पैटर्न में बदलाव से टमाटर की कीमतों पर असर पड़ सकता है. टमाटर कई अलग-अलग व्यंजनों और खाद्य उत्पादों में काफी अधिक मात्रा में खाई जाने वाली सब्जी है. यदि मांग में अचानक वृद्धि होती है, जैसे कि त्योहारी सीज़न के दौरान या खाने की आदतों में बदलाव के कारण, आपूर्ति बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है, जिससे कीमतें बढ़ सकती हैं।
कीट, रोग और फसल का नुकसानटमाटर के पौधों को प्रभावित करने वाले कीट और बीमारियां फसल के नुकसान का कारण बन सकती हैं, जिससे बाजार में सप्लाई घट सकती है. कीट संक्रमण, पौधों की बीमारियां और अन्य कृषि चुनौतियां टमाटर की फसल को तबाह कर सकती हैं, जिससे सप्लाई घट सकती है और कीमतों में वृद्धि हो सकती है।