जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अलमोडा़ के अध्यक्ष रमेश कुमार जायसवाल, सदस्यगण विद्या बिष्ट,सुरेश कांडपाल ने शिकायतकर्ता की शिकायत खारिज कर मामले में बहस सुन शिकायत कर्ता को विपक्षी पक्षकार बनाये जाने के आदेश दे, पुनः मामले की सुनवाई कर शिकायतकर्ता की शिकायत खारिज कर शिकायतकर्ता से विपक्षी पक्षकार को दस हजार रुपए दिलाये है। अल्मोड़ा निवासी सुमित खुल्बे ने आयोग में एक शिकायत दर्ज करायी की उसने एक फाइबर ब्राड बेंड बी एस एन एल का कनेक्शन लिया था।
जिसकी सेवाएं अलमोडा़ केवल नेटवर्क को देनी थी। शिकायतकर्ता ने सिर्फ भारत संचार निगम अलमोडा़ को पक्षकार बनाते हुये शिकायत पेश की थी। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में बी एस एन एल की सेवा में कमी के साथ साथ खुद कहा की उसने माडम की कीमत चार हजार रूपए नहीं दी।
आयोग ने मामले की सुनवाई कर कहा कि अल्मोड़ा केवल नेटवर्क सेवा प्रदान करता है, और वह आवश्यक पक्षकार है उसे पक्षकार बनाया जाय। शिकायतकर्ता ने आयोग के आदेश पर अल्मोड़ा नेटवर्क को पक्षकार बनाया, मामले फिर सुनवाई हुयी। आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि भारत संचार निगम ने सेवा में कोई कमी नहीं की है, यदि शिकायत कर्ता के साथ धोखाधड़ी हुयी है तो पुलिस कार्रवाई करें, आयोग को धोखाधड़ी के मामले सुनने का अधिकार नहीं है। आयोग ने यह भी निर्णय दिया कि शिकायत कर्ता ने विपक्षी संख्या २ अलमोडा केबल नेटवर्क के मोडम का प्रयोग किया किन्तु उसका पैसा नहीं दिया। मामले का विस्तृत परीशीलन कर आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि शिकायतकर्ता विपक्षी संख्या २ को माडम की कीमत चार हजार रूपए, व रकम का ब्याज व विपक्षी संख्या २ को हुयी मानसिक उत्पीड़न की क्षतिपूर्ति के रूप में कुल दस हजार रुपए आदेश पारित करने के तीस दिन के भीतर अदा करें। साथ ही यह भी आदेश दिया है कि शिकायतकर्ता व विपक्षीगण अपना अपना वाद व्यय खुद वहन करेगें। आयोग द्वारा बी एस एन को कोई क्षतिपूर्ति नहीं दिलायी गयी। आदेश में यह भी कहा है यदि आदेश का पालन नहीं होता है उपभोक्ता संरक्षण कानून की धारा ७१, ७२ के अन्तर्गत कार्यवाही की जावेगी। देखिए आदेश पीडीएफ