( पर्यावरण दोहन के साथ पर्यटन विकास किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं)

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट जागेश्वर धाम पर जन आक्रोश के खतरे मंडराते नजर आ रहे हैं। पहले तो क्षेत्र वासियों को यही गवारा नहीं हो रहा था कि उनके घर व कारोबार को उजाड़ कर जागेश्वर धाम का विकास किया जाय।

विकास के नाम पर दोहन में आते नजर पेड़ व मकान

अब सड़क चौड़ी करने के नाम पर एक हजार से अधिक देवदार के 200 साल‌ अधिक पुराने पेड़ों पर आरी चलने का खतरा मंडरा रहा है। निशानदेही के नाम पर भी पेड़ों की छाल खील रंग पोते गये है।

मकान, सीमेंट कंक्रीट से घिरा क्षेत्र जो एक का नहीं।

जिसका क्षेत्रवासियों में गहरा रोष है, पुराने लोगों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार पहाड़ की संस्कृति व विरासत के साथ इतना ही नहीं पर्यावरण दोहन के साथ देवदार के वनों पर आरी , जेसीबी चला विकास करना चाह रही है उसे जागेश्वर की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। लोगों का कहना है कि यदि सरकार देवदार के पेड़ पर आरी चलायेगी तो वह एक बार फिर चिपको आंदोलन को आमंत्रण दे रही है।जिसे महिलाओं ने पहले बर्दाश्त किया और न अब।

विकास या विनाश

कुछ ने यहां तक कह दिया है कि पहले हमारे ऊपर आरी , मशीनें चलाओ, फिर रोड़ बनाओ। गौरतलब है इस समाचार को हमने ही सबसे पहले सोशियल मिडिया में जानकारी दी थी, अब चारों तरफ से आक्रोश का बिगुल बजाया जा रहा है।

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