अल्मोड़ा में दो दिन बाद भाजपा के शिष्टमंडल की पहल पर पानी तो मिला, पर पेयजल नहीं।
(पानी की सप्लाई में गंदगी , आग के धुए की महक, मिट्टी की महक।आफत में लोगों की जान, कैसे हो निदान , बिमारियों को खुला आमंत्रण दे रहा है पानी आपूर्ति महकमा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, व जिला प्रशासन से स्वच्छ पेयजल आपूर्ति करने की अपील। बादल फटने से कोसी में काफी गंदा पानी, ट्रीटमेंट प्लांट भी अक्षम, धीरे धीरे पानी साफ , एक दो दिन में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति हो जायेगी, जनता से सहयोग की अपील अरुण सोनी, अधिशासी अभियंता, उत्तराखंड जल संस्थान अलमोडा़)
अल्मोडा़ की जन सेवा को समर्पित राष्ट्र नीति संगठन के आचार्य ओशो विनोद तिवारी ने एक रील के माध्यम से इस मुद्दे को उठा, मिडिया से अपील कर कहा है ,मीडिया के साथियों से हाथ जोड़कर निवेदन है क्या अल्मोड़ा में पेयजल की समस्या को अपने-अपने पोर्टल पर अपने-अपने तरीके से उठाने का कष्ट करें भले आप किसी का नाम ना लें अपने तरीके से न्यूज़ बनाएं लेकिन यह राष्ट्र नीति के आपसे अपील है की खबर को एक बार उठाए।वहीं समाजिक कार्यकर्ता विनय किरौला ने अपने तरीके से इस मुद्दे को उठाते हुए कहा ,साथियों अल्मोड़ा नगर को लेकर अत्यंत गंभीर विषय पर अपने विचार साझा कर रख रहा हूं।दो दिन पूर्व हुई एक से दो घंटे की बारिश ने 500 साल पुरानी नगरी अल्मोड़ा में पानी के निकासी के सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है।
इस बारिश के बाद इंदिरा कॉलोनी,रानीधारा,राजपुरा में मालवा,में पानी लोगो के घर मे घुस गया।ईश्वर का आशीर्वाद रहा कि कोई बड़ी जनहानि नही हुई।मैं भूवैज्ञानिक तो नही हूं किंतु लम्बे समय से अल्मोड़ा में निर्माणधीन सीवर लाइन,ड्रेनेज के कार्य पर नज़र बनाए हुए हूं और साथ ही इस विषय के जानकारों व उपलब्ध किताबो आदि से जुटाई जानकारी से नजरी तौर पर समझ मे आता है कि दशकों पूर्व में बने नगरपालिका के नालों की क्षमता आज की कई गुना बढ़ चुकी आबादी के घरेलू पानी व बरसात के पानी को वहन नही कर पा रही है,जिससे पानी ओवर फ्लो होकर लोगो के घरों में घुस रहा है।
इसके अलावा लोगो ने बताया कि सीवर लाइन के कार्य से रास्तो से लगी दीवारे कमजोर हो गयी है जिससे पानी रिस कर लोगो के घर मे आ रहा है।
इसके अतिरिक्त सिचाई विभाग की घोर लापरवाही के साथ ही हावी नौकरशाही ने 18 करोड़ से प्रथम चरण में बनने वाले नगरपालिका के 18 नालों जिस का उद्देश्य था कि इन बड़े नालों में इस तरह से कार्य हो कि इन नालों से पानी रिस कर लोगो के घरों में न जाए,किंतु तय समय पूरा हो जाने के बावजूद इन 18 नालों में अनेकों नालों में सिचाई विभाग ने हाथ तक नही लगाया है।जिसका नतीजे के रूप में 2 दिन पूर्व हुई बारिश में इस नाले से पानी ओवरफ्लो होकर लोगो के घर मे घुस गया।
♨️♨️♨️ *समाधान* ♨️♨️♨️साथियों मैं इस विषय का एक्सपर्ट तो नही हूं किंतु जो मैंने क्षेत्र में रहकर थोड़ा बहुत ज्ञान लिया वो आपके साथ साझा कर रहा हूं-1-हमने धरातल में देखा कि पानी की निकासी के पारंपरिक रास्ते चोक हो गए है,पानी को जहाँ गुरुत्व मिल रहा है वो अपना रास्ता उस ओर बना दे रहा है,स्वभाविक रूप से अल्मोड़ा नगर में गुरुत्व रास्ते के नीचे रह रहे मकानों की तरफ है,निकासी नालों को दुरस्त कर पानी की निकासी के पारंपरिक रास्तो को खोला जाए।बरसात व उससे पूर्व निरन्तर निकासी नालों की सफाई हो।
2-सीवर लाइन व ड्रेनेज सिस्टम आज तेजी से बढ़ रहे अल्मोड़ा नगर के लिए अत्यंत आवश्यक है।हमारे द्वारा किये गए लंबे संघर्ष के बाद अल्मोड़ा नगर के लिए 3-4चरणों मे ड्रेनेज सिस्टम बनने की सरकार के द्वारा प्लान किया गया जिसमें ड्रेनेज सिस्टम व सीवर लाइन बनाने का मुख्य कारण अल्मोड़ा नगर में पानी की पूर्ण रूप से निकासी की व्यवस्था करना था।
पूर्व में जिलाधिकारी रही वंदना सिंह जी व कार्यदायी संस्था से अनेकों बार हमारे द्वारा वार्ता की गई और पहाड़ी नगर अल्मोड़ा की इस अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना को जानने वा समझाने की कोशिश की गई।दुर्भाग्य है कि शासन ने बड़ी गलती करते हुए ड्रेनेज सिस्टम व शिविर लाइन के इस कार्य को कम केंद्रीकृत करते हुए,बाहर के किसी ठेकेदार को कार्य दे दिया ,जिसके पास पहाड़ में कार्य करने की योग्यता नही है,न ही विभागीय अधिकारियों में कार्य को करने की उच्च कोटि की विषेशज्ञता है,जिसका अन्तोगत्वा गंभीर परिणाम नगरवासियों को उठाना पड़ रहा है।ड्रेनेज सिस्टम व शिविर लाइन निर्माण का कार्य लोकल के ठेकेदारों को मिलना चाहिए, लोकल ठेकेदार अनेको कारणों से इस कार्य को आसानी से कर सकते है।
अंत में पुनः अल्मोड़ा वासियों से निवेदन करता हूं कि किसी भी विकास कार्य की सफलता भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में तभी सम्भव है,जब आमजन संगठित हो,हमे इस भावना से ऊपर उठना होगा कि मेरा घर तो सुरक्षित है,मुझे फर्क नही पड़ता,अपने शहर के विकास के लिए सामूहिक रूप से शासन-प्रशासन पर दबाव बनाना पड़ेगा।आखिर में अत्यंत महत्वपूर्ण चुने हुए प्रतिनिधियों का विकास के प्रति घोर उदासीन रवैया, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी,विकास को लेकर कोई विज़न न होना ने नगर को गर्त में पहुचा दिया है।
शहर के इन जागरूक युवकों नें अपने विचार व पीड़ा पेश की है। अल्मोड़ा में पानी की समस्या का इतिहास काफी दशकों पुराना है, अनेक योजनाएं बनीं, जनसंख्या वृद्धि व विकास के दौर में खरी नहीं उतरी । गंदा पानी, सिल्ट, आदि अलमोडा़ शहर की जीवनधारा कोसी के लिए नयी बात नहीं है , पम्प खराब , ट्रीटमेंट प्लांट में कचरा आदि आम बात है , आखिर कब निजात मिलेगी इस समस्या से, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हर घर नल , आदि दावे अलमोडा़ शहर की पंपिंग पेयजल आपूर्ति पर प्रश्न चिन्ह हैदेवी आपदा व प्राकृतिक श्रोत पर निर्भर नदियों पर राज्य नदी अधिकरण का गठन तो हो गया पर समस्याओं से निजात दिलाने की ठोस नीति व पहल व सफलता कब मिलेगी, कोसी, जटागंगा, शिप्रा नदी की दुर्दशा पर कब सरकार चेतेगी। जल ही जीवन है को धरातल पर चरितार्थ करेगी, अनुत्तरित प्रश्न है।
इस संबंध में उत्तराखंड जल संस्थान अलमोडा़ के अधिशासी अभियंता अरूण कुमार सोनी का कहना है कि क्षेत्र में बादल फटना , तथा नदी के आस पास मलवे से कोसी नदी में पानी की गंदगी दो हजार एम टी यू तक पहुंच गई है, जो ट्रीटमेंट प्लांट द्वारा साफ करना दुष्कर है, अब पानी में सुधार हुआ है, चार सौ एम टी यू तक आ गया है, एक दो दिन में स्वच्छ पेय जल आपूर्ति सुचारू करने के प्रयास युद्ध स्तर पर किये जा रहे हैं, जनता से सहयोग व धैर्य की अपील है ।