उद्यान विभाग घोटालों का पर्याय बन चुका है आये दिन नये घोटाले उजागर हो रहे हैं। एक बागवान की व्यथा* जिसने स्वयं व पूरे परिवार ने अपना तन मन धन कागजी का बाग लगा कर अपनी आजीविका चलाने की सोची ,पांच साल बाद बारामासी कागजी नींबू के नाम पर रोपित पौधों पर लगे जम्बीरी के फल।
जम्बीरी के पौधे नीम्बूवर्गीय फलों के कलमी पौधे बनाने में रूट स्टाक (मूल वृंत) के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।श्री मानवेन्द्र नेगी पुत्र श्री पृथ्वीराज ग्राम सेनागढसारी ऊखीमठ जनपद रुद्रप्रयाग का कहना है कि “उद्यान विभाग द्वारा बर्ष अगस्त ,2020 मै बारामासी कागजी नीबू की उच्च गुणवत्ता वाली फल पौध बता कर 125 बीजू पौध उपलब्ध कराई गई ।जिसके विषय में उद्यान विभाग के सम्बन्धित अधिकारी/कर्मचारियों के द्वारा बताया गया था कि इन पौधों की गारंटी है, क्योंकि विभाग के द्वारा प्रमाणिक नर्सरी से इन पौधों को लिया गया है।
सम्बन्धित कर्मचारियों के द्वारा अवगत करवाया गया था कि पांच साल के पश्चात आप प्रति पेड़ 2.5 से 3 हजार रू० की वार्षिक आय प्राप्त कर सकते हैं, जिससे प्रेरित होकर मेरे द्वारा उद्यान विभाग के दिशा निर्देशन में उक्त कथित बारामासी कागजी नीबू के पौधों को अपने 25 नाली के खेतों में रोपण किया एवं उनका बडे लगन व मेहनत से उनका पालन पोषण किया गया ।
वर्तमान में 125 पौधों में से 113 पेड़ जीवित हैं जो कि अब फल भी देने लगे हैं, लेकिन सभी 113 पेड़ों में जम्बीरी के फल लगे हुए हैं। उद्यान लगाने के चक्कर में विगत चार वर्षों से इन खेतों से कोई भी कृषि उपज नहीं ले पाया , भारी आर्थिक नुकसान के साथ ही, सामाजिक ,मानसिक व शारीरिक पीड़ा उठानी पड़ रही है।जब विभाग को मेंने इन फलों की जानकारी दी विभागीय अधिकारियों बताया कि इन फलों का कोई भी महत्व एवं उपयोग नहीं है तथा इन पेड़ों को कटवाने का सुझाव दिया गया जिसे मैंने मानने से मना कर दिया। *
रुद्रप्रयाग जनपद के श्री मनवर सिंह चौधरी ग्राम बलसुन्डी,श्रीमती गणेशी देवी ,कन्डारा आदि कई अन्य किसानों द्वारा भी उद्यान विभाग के कहने पर कागजी नींबू के नाम पर फल पौध लगाई गई, जिन पर भी जम्बीरी के फल लगे किन्तु उद्यान विभाग के बहकावे में आकर अधिकतर किसानों ने जम्बीरी के इन पौधों को काट दिया है*। जिला उद्यान अधिकारी रुद्रप्रयाग के कार्यालय में कई बार आर्थिक नुकसान की भरपाई का अनुरोध किया इस पर जिला उद्यान अधिकारी रूद्रप्रयाग ने अपने कार्यालय के पत्रांक 123 दिनांक28 मई 2024 को निदेशक उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उत्तराखण्ड उधान भवन चौबटिया रानीखेत को पत्र लिखा, जिसमें कृषकों को हुई आर्थिक क्षति पूर्ति हेतु सम्बन्धित पौधशाला से वसूल करने एवं पौधशाला के विरुद्ध सुसंगत धाराओं से आवश्यक कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है ।
जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।*उद्यान विभाग के अधिकारी नहीं करते उत्तराखंड फल पौधशाला (विनियमन) अधिनियम 2019 का अनुपालन* -बागवानों को गुणवत्ता युक्त फल पौधे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड फल पौध अधिनियम 2019 बनाया, जिसका सरकार ने खूब प्रचार प्रसार भी किया। एक्ट की धारा 18 उपधारा (1) में प्राविधान है कि पौधशाला स्वामी जो अधिनियम या उसके अधीन बनाये गये नियमों के किसी उपबंध का उल्लंघन करेगा, वह प्रथम दोष सिद्धि पर रु0 50,000 (रूपये पचास हजार) तक का जुर्माना तथा जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने कि दशा में छह माह तक का कारावाससे दण्डित किया जायेगा और द्वितीय अथवा पश्चातवर्ती दोषसिद्धि की दशा में 6 माह तक का कारावास तथा रू0 50,000 (रूपये पचास हजार) तक के जुर्माने से भी दण्डित किया जायेगा।
इसके अतिरिक्त अधिनियम के परिशिष्ट 1 घोषणा नम्बर 6 के द्वारा पौधशाला स्वामी यह भी घोषणा करता है कि जिन पौधों का मेरे द्वारा विक्रय या वितरण किया जायेगा वह उसी प्रजाति के होंगे जिसकी संस्तुति मेरे द्वारा की गयी है तथा वह पूर्ण रूप से कीट एवं व्याधियों से मुक्त होंगे अन्यथा किसान के समस्त प्रतिकरों का वहन मेरे द्वारा किया जायेगा।
प्रतिकर का निर्धारण अनुज्ञप्ति प्राधिकारी अथवा उनके द्वारा नामित मुख्य / जिला उद्यान अधिकारी की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा किया जाएगा।अधिनियम की धारा 7 की उप धारा 1 (ग) के अनुसार अपराध या दोष सिद्ध होने पर अनुज्ञा पत्र निलंबन या निरस्त किया जा सकता है।
उत्तराखंड फल पौध अधिनियम 2019 के तहत उद्यान विभाग को पीड़ित बागवानों का उचित प्रतिकर निर्धारित कर पौधशाला स्वामियों से वसूल कर दिया जाए साथ ही पौधशाला स्वामियों के अभिलेखों की जांच कर दोषी अधिकारियों एवं पौधशाला स्वामियों को दण्डित किया जाय।